अफगानिस्तान की संसद के निचले सदन ने संयुक्त राज्य अमेरका और नाटो (उत्तर अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) के साथ द्वीपक्षीय सुरक्षा समझौतों को 23 नवंबर 2014 को मंजूरी दी. इस समझौते के बाद करीब 12500 नाटो सैनिक तालिबान के खिलाफ लड़ाई के लिए वर्ष 2015 तक अफगानिस्तान में रहेंगे.
वर्ष 2014 के आखिर में संयुक्त राज्य अमेरिकी नीत नाटो लड़ाकू अभियान खत्म हो रहे हैं लेकिन तालिबान ने हाल ही में हमलों की एक नई श्रृंखला शुरु कर दी है जिसने अफगानी सैनिकों और पुलिस को बहुत नुकसान पहुंचाया है. इस समझौते के तहत मूल योजना, बचे हुए 9800 नाटो सैनिकों का अफगानी सुरक्षा बलों को सिर्फ प्रशिक्षित करने एवं परामर्श देने और जवाबी आतंकवादी मिशनों का मुकाबला करना है.
द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते की मुख्य विशेषताएं:
• नया नाटो मिशन– ऑपरेशन रिसॉल्यूट सपोर्ट, तालिबान एवं अन्य आतंकवादी समूहों के खिलाफ अफगानिस्तानी बलों को सहायता करना है.
• अफगान सुरक्षा बलों के पास अपनी देश की पूर्ण सुरक्षा का अधिकार होगा और आने वाले समय में उन्हें नाटो के जरिए हथियार और प्रशिक्षण मुहैया करा कर मजबूत बनाया जाएगा.
• नया आदेश अमेरिकी जेट, बॉम्बर और ड्रोन के जरिए अफगान कॉम्बैट मिशनों को हवाई समर्थन देने की अनुमति देगा.
• वर्ष 2015 के आखिर में 9800 अमेरिकी सैनिकों में से आधे सैनिक अफगानिस्तान से वापस बुला लिए जाएंगे. बाकी बचे सैनिक काबुल और बागरम में रहेंगे और वर्ष 2016 के अंत तक उनको भी वापस बुला लिया जाएगा.
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