तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता को बैंगलोर में विशेष अदालत ने आय से अधिक संपत्ति मामले में 27 सितंबर 2014 को दोषी पाया. अदालत ने उन्हें 4 वर्षों की जेल की सजा और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया.
जयललिता के खिलाफ 18 वर्ष पुराने 66.65 करोड़ रुपयों के आय से अधिक संपत्ति मामले पर बैंगलोर की अदालत में कड़ी सुरक्षा के बीच फैसला सुनाया गया. जयललिता के अलावा अदालत ने शशिकला नटराजन, इलावारासी और जयललिता के दत्तक पुत्र वी एन सुधाकरण को भी दोषी पाया.
इस फैसले के साथ ही वह भारत की पहली ऐसी मुख्यमंत्री बन गईं जिन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में अपने पद के लिए अयोग्य घोषित किया गया.
दागी नेताओं पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले
सर्वोच्च न्यायालय ने 10 जुलाई 2013 को कहा था कि संसद के आरोपी सदस्यों और एमएलए को अपराध के लिए सजा के तौर पर, अपील के लिए तीन माह का समय दिए बिना तत्काल सदन से उनकी सदस्यता को समाप्त किया जाए.
जस्टिस ए.के.पटनायक और एस जे मुखोपाध्याय की एक पीठ ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(4) को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(4) सजायाफ्ता सांसदों को उच्च न्यायालय में अपील करने हेतु तीन माह का समय देती है और जिससे वे सजा या दोषी करार देने पर रोक लागा पाते हैं.
पीठ ने हालांकि, यह स्पष्ट कर दिया था कि यह आदेश भावी होगा और जिन दागी सांसदों ने पहले से ही विभिन्न उच्च न्यायालयों या सर्वोच्च न्यायालय में अपनी सजा के खिलाफ याचिका दायर कर रखी है, वे इसके दायरे से बाहर होंगे.
बैंगलोर के विशेष अदालत के गठन का कारण
जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला वर्ष 2003 में सर्वोच्च न्यायालय ने डीएमके नेता अनबाझागन की याचिका पर बैंगलोर के विशेष अदालत में स्थांतरित कर दिया था. उस वक्त जयललिता के तमिलनाडु का मुख्यमंत्री होने के कारण डीएमके नेता ने निष्पक्ष सुनवाई पर संदेह जताया था.
मामला
आय से अधिक संपत्ति का मामला वर्ष 1996 में एम. करुरणानिधि के नेतृत्व में तत्कालीन डीएमके सरकार ने दायर किया था. इसके अलावा, इस मामले में वरिष्ठ बीजेपी नेता सुब्रह्मणियम स्वामी ने जयललिता के खिलाफ याचिका दायर की थी.
जयललिता पर आरोप था कि वर्ष 1991 में उनकी संपत्ति 3 करोड़ रुपये थी जो कि वर्ष 1991– 1996 के उनके पहले मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान बढ़कर 66 करोड़ रुपये हो गई. हालांकि, उन्होंने घोषणा की थी कि अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान वे बतौर वेतन सिर्फ 1 रुपया लेंगी.
अपने राजनीतिक करियर में यह पहली बार नहीं है कि जयललिता को अदालत ने सजा सुनाई हो. इससे पहले वर्ष 2000 में एक निचली अदालत ने जयललिता को दो मामलों में से एक में तीन वर्ष और एक में दो वर्ष के कैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद वर्ष 2001 में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले के बाद जिसमें आपराधिक मामलों की वजह से सजायाफ्ता सांसद, मंत्रीं अपने पद पर नहीं रह सकते, मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा था.
जे जयललिता के बारे में
• वर्ष 1980 में एआईएडीएमके के संस्थापक नेता एम.जी. रामचंद्रन ने उन्हें प्रचार सचिव बनाया था.
• वर्ष 1984 में राज्य सभा सदस्य बनीं.
• वर्ष 1989 में वे पहली बार तमिलनाडु विधानसभा में चुनी गईं जिसके बाद 1991 में वे तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं.
• वे जानकी रामचंद्रन के बाद मुख्यमंत्री बनने वाली दूसरी महिला थीं.
• उनके अनुयायी उन्हें अम्मा (मां) और पुरात्ची थालावी (क्रांतिकारी नेता) कह कर बुलाते हैं.
• अपना राजनीतिक करियर शुरु करने से पहले वे 100 से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुकी थीं जिनमें से ज्यादातर तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में थीं. उन्होंने कुछ हिन्दी और अंग्रेजी फिल्मों में भी अभिनय किया है.
• उन्होंने 16 साल की उम्र में कन्नड़ फिल्मों में कदम रखा था.
• उनकी कुछ फिल्मों में वेन्निरा अदाई (उनकी पहली तमिल फिल्म), पट्टिकडा पट्टिनामा, आयरथाली ओरुवन जिसके लिए उन्हें 1973 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था), श्री कृष्ण सत्या.
• उनकी आखिरी फिल्म नदियाई थेड़ी वांधा काडाल (1980) थी.
• उनका जन्म 2 फरवरी 1948 को हुआ था.
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