मुद्रा आपूर्ति व महंगाई पर नियंत्रण हेतु भारतीय रिजर्व बैंक (RBI: Reserve Bank of India) ने मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा के तहत 17 मार्च 2011 को रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की. नई नीति के तहत भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों को दिये जाने वाले अल्पावधि कर्जों पर मुख्य ब्याज दर यानि रेपो रेट बढ़कर 6.75 फीसदी हो गई जबकि बैंको से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लिए जाने वाले कर्ज पर ब्याज दर यानि रिवर्स रेपो रेट 5.75 फीसदी हो गयी. हालांकि नकद आरक्षी अनुपात (CRR: Cash Reserve Ratio) या बैंक दर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया यानि यह छह प्रतिशत ही रहा.
ज्ञातव्य हो कि रिजर्व बैंक ने मार्च 2010 से मार्च 2011 तक आठ बार अपनी मुख्य दरें बढ़ाई हैं. जबकि नकद आरक्षी अनुपात को इस दौरान केवल एक बार 20 अप्रैल 2010 को 0.25 फीसदी से बढ़ाया गया. हालांकि 29 जनवरी 2010 को नकद आरक्षी अनुपात 5 फीसदी से बढ़ाकर 5.75 फीसदी किया गया था.
तिथि | रेपो रेट | रिवर्स रेपो रेट | नकद आरक्षी अनुपात |
17 मार्च 2011 | 6.5% से 6.75% | 5.5% से 5.75% | 6.0% |
25 जनवरी 2011 | 6.25% से 6.5% | 5.25% से 5.5% | 6.0% |
1 नवंबर 2010 | 6.0% से 6.25% | 5.0% से 5.25% | 6.0% |
16 सितंबर 2010 | 5.75% से 6.0% | 4.5% से 5.0% | 6.0% |
27 जुलाई 2010 | 5.5% से 5.75% | 4.0% से 4.5% | 6.0% |
2 जुलाई 2010 | 5.25% से 5.5% | 3.75% से 4.0% | 6.0% |
20 अप्रैल 2010 | 5.0% से 5.25% | 3.5% से 3.75% | 6.0% |
19 मार्च 2010 | 4.75% से 5.0% | 3.25% से 3.5% | 5.75% |
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