To stamp out the barbaric and feudal practice of ‘honour killings,' the Supreme Court directed the trial/High Courts to award the death sentence to the convicted in such crimes. इज्जत के लिए हत्या यानी ऑनर किलिंग (honour killings) पर सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने कड़ा रुख अपनाते हुए इसे दुर्लभतम अपराध (honour killings as rarest of rare cases) बताया और इसके अपराधी को मौत की सजा (death sentence for honour killings) दिए जाने की बात कही.
सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू व न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने महत्वपूर्ण फैसला देते हुए इज्जत के लिए हत्या यानी ऑनर किलिंग (honour killings) को राष्ट्र पर कलंक बताया. यह महत्वपूर्ण निर्णय अपनी ही बेटी की हत्या करने वाले दिल्ली के भगवान दास की याचिका खारिज करते हुए 9 मई 2011 को सुनाया गया.
सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू व न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर भगवान दास को हत्या के जुर्म में सुनाई गई उम्र कैद सजा को सही ठहराया. साथ ही पीठ ने अपने इस फैसले की प्रति सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल और सभी राज्यों के मुख्य सचिव, गृह सचिव व पुलिस महानिदेशकों को भेजने का निर्देश दिया, ताकि ये लोग फैसले की प्रति सभी सत्र अदालतों के जजों और एसएसपी व एसपी दफ्तरों में सूचनार्थ भेज सकें.
सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू व न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ की ओर से फैसला लिखते हुए न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू ने बताया कि हमारे देश में विभिन्न स्थानों में ऑनर किलिंग (honour killings) आम हो गई है. विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान आदि जगहों पर. न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू ने उल्लेख किया कि ऑनर किलिंग (honour killings) में कुछ भी ऑनरेबल (सम्मानजनक) नहीं है. यह हठी सामंती मानसिकता के लोगों द्वारा की जाने वाली क्रूर हत्याएं हैं. अगर किसी को अपनी बेटी या रिश्तेदार का व्यवहार पसंद नहीं आता तो वह ज्यादा से ज्यादा उसका सामाजिक बहिष्कार कर सकता है. लेकिन वह कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता.
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