केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में मंत्री समूह (GoM: Group of Ministers) द्वारा उर्वरक की सब्सिडी बढ़ाने का निर्णय लिया गया. उर्वरक (खाद) की कीमतों की समीक्षा के लिए 15 फरवरी 2011 को बुलाई गई बैठक में यह निर्णय लिया गया, ताकि खाद्य उत्पादों की कीमतों पर काबू पाया जा सके. सब्सिडी बढ़ाने के निर्णय से यूरिया, डाइ-अमोनियम फास्फेट (DAP) और म्युरेट ऑफ पोटाश (MoP) की घरेलू कीमतें काबू में रहने की उम्मीद है.
वैश्विक स्तर पर उर्वरक (खाद) की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी की कीमत करीब 630 डॉलर प्रति टन है. जबकि एमओपी के दाम 400-420 डॉलर प्रति टन है. केंद्र सरकार डीएपी व एमओपी को क्रमश: 450 और 350 डॉलर प्रति टन के मानक कीमत पर उवर्रक कंपनियों को सब्सिडी (उवर्रकों की उत्पादन लागत और उसके अधिसूचित बिक्री मूल्य के अंतर के हिसाब से) देती है. इस कारण उर्वरक कंपनियां सरकार द्वारा तय मूल्यों पर किसानों को उर्वरक बेचती हैं. ज्ञातव्य हो कि वर्ष 2009-10 में केंद्र सरकार का उवर्रक सब्सिडी बिल 64000 करोड़ रुपये था.
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