आने वाले त्योहारों के मद्देनजर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल– एनजीटी) ने 16 सितंबर 2015 को यमुना नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए दिशा–निर्देश पारित किए.
अपने निर्देश में एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता में पीठ ने यमुना नदी में प्राकृतिक तरीके से सड़नशील पदार्थों से बनी मूर्तियों के अलावा अन्य पदार्थों से बनी मूर्तियों के नदी में विसर्जन पर प्रतिबंध लगा दिया है.
एनजीटी द्वारा दिए गए मुख्य निर्देश
इसने प्लास्टिक या प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों को नदी में विसर्जित करने पर प्रतिबंध जारी किया है जबकि प्राकृतिक तरीके से सड़नशील पदार्थों से बनी मूर्तियों का विसर्जन यमुना में किया जा सकेगा.
पर्यावरण के अनुकूल रंगों से सजी मूर्तियों को ही यमुना नदी में विसर्जित करने की अनुमति होगी.
मूर्ति विसर्जन के लिए निर्धारित स्थानों का पक्ष लेते हुए अधिकरण ने दिल्ली सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के उपाध्यक्ष के साथ जल्द से जल्द बैठक करने और ऐसे स्थानों की पहचान करने का भी निर्देश जारी किया.
अधिकरण ने अधिकारियों को मूर्ति विसर्जन के लिए निर्धारित घाटों के बारे में लोगों को सूचित करने का भी निर्देश दिया.
साथ ही अधिकरण ने दिल्ली सरकार समेत सभी सरकारी अधिकारियों को घाटों के पास मोबाइल शौचालयों या जैव– शौचालयों की व्यवस्था करने का भी आदेश दिया.
अधिकरण ने मशीनों द्वारा किसी भी प्रकार के वाणिज्यिक/ निर्माण गतिविधि न करने की, खासकर डीडीए को, चेतावनी दी. फूलों की खेती और वन– संवर्धन ( जंगलों के उत्थान के लिए) हेतु किए जाने वाले कार्यों को ही अनुमति दी गई है.
डीडीए को जैव विविधता पार्कों के तौर पर विकसित करीब 63.56 हेक्टेयर के नदी किनारों/ बाढ़ मैदानों के रख–रखाव को सुनिश्चित करने को कहा गया है.
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