ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट ने 4 सितम्बर 2014 से 5 सितम्बर 2014 तक भारत का दौरा किया.
प्रधानमंत्री मोदी और टोनी एबोट ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने भारत दौरे के दौरान चार समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. ये हैं–
• नाभकीय ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग
• खेल के क्षेत्र में सहयोग के लिए
• जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन का नवीकरण.
• तनकीनी व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (टीवीईटी) में सहयोग.
नाभकीय ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग
नाभकीय ऊर्जा के क्षेत्र में शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग को यह बढ़ावा देगा. यह भारत की प्रतिबद्धता को मान्यता प्रदान करता है और नाभकीय ऊर्जा का इस्तेमाल सतत विकास और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में करेगा. भारत को लंबे– समय तक यूरेनियम की आपूर्ति में आस्ट्रेलिया विश्वसनीय भूमिका निभा सकता है. यह यूरेनियम, रेडियो आइसोटोप के उत्पादन, नाभकीय सुरक्षा और सहयोग के अन्य क्षेत्रों में आपूर्ति करेगा.
खेल के क्षेत्र में सहयोग के लिए एमओयू
एमओयू खेल के क्षेत्र में प्रोग्राम्स, अनुभवों, कौशलों, तकनीकों और ज्ञान के आदान–प्रदान को प्रोत्साहित करेगा. यह खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और अधिकारियों के साथ प्रशिक्षण एवं प्रौद्योगिकियों के आदान–प्रदान की भी सुविधा देगा. यह प्रतियोगिता की तैयारी और खेलों में व्यापक सहयोग को विकसित करेगा.
जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग वाले एमओयू का नवीकरण
यह जल संसाधन खासकर नदी बेसिन प्रबंधन में नीतियों और तकनीकी विशेषज्ञता को साझा करने के लिए बढ़ावा देगा. यह दोनों ही देशों द्वारा सर्वश्रेष्ठ अभ्यास और प्रौद्योगिकियों के विकास को साझा करने और सूचना एवं प्रशिक्षण के आदान– प्रदान को प्रोत्साहित करेगा. जेडब्ल्यूजी गतिविधियों का समन्वय करेंगे.
तकनीकी व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (टीवीईटी) में सहयोग पर एमओयू
टीवीईटी प्रणालियों में सूचना औऱ नीतिगत विचारों को साझा करने को प्रोत्साहित करना, सहयोगात्मक परियोजनाओं में संयुक्त कार्यान्वयन और सरकारों, औद्योगिक संगठनों, टीवीईटी निकायों के बीच लिंक स्थापित करने की सुविधा देगा. फोकस अनुभव और नीति को साझा करने पर होगा ताकि कुशल और वैश्विक स्तर पर उत्पादक कार्य बल को तैयार किया जा सके. कौशल इस क्षेत्र के कुशल श्रमिकों तक पहुंच को प्रोत्साहित करेगा.
द्विपक्षीय सहयोग
- दोनों ही देशों के प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय रणनीतिक भागीदारी को मजबूत बनाने और नए स्तर के आपसी विश्वास की तरफ बढ़ने के प्रति अपनी –अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की.
- उन्होंने द्विपक्षीय भागीदारी के ठोस प्रतीक के तौर पर द्विपक्षीय नागरिक नाभकीय सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किया.
- इस समझौते से ऑस्ट्रेलियाई यूरेनियम का भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के लिए बिक्री और इसके लिए प्रशासनिक कार्यवाई जल्द से जल्द पूरी कर लेने के निर्देश दिए गए.
आर्थिक संबंध
- दोनों ही देश दीर्घकालिक पारस्परिक लाभ के लिए व्यापार को बढ़ाने और भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक विकास को स्थायी बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
- ये बुनियादी ढांचा, संसाधनों,कृषि, विनिर्माण, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में दोनों ही तरफ से निवेश और सहयोग को बढ़ाने परे सहमत हुए ताकि क्षमता को बढ़ाया जा सके, नई प्रौद्योगिकियों को शामिल किया जा सके और नवाचार एवं कौशल का विकास हो सके.
- दोनों ही देश एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए) की उम्मीद करते हैं जो दोनों तरफ से व्यापार और निवेश के विस्तार में सहयोग करे. उन्होंने दोनों देशों की न्यायोचित, संतुलित, व्यापक और उच्च गुणवत्ता वाले समझौते के जल्द से जल्द बनाए जाने के की बात दोहराई.
- वे आर्थिक संबंधों और व्यापारिक भागिदारियों को सीईओ फोरम के जरिए मजबूत किए जाने, व्यवसाय और व्यापार मिशन के नियमित प्रोत्साहन के आदान– प्रदान और भारत–ऑस्ट्रेलिया व्यापार शिखर सम्मेलन को वर्ष 2015 के शुरुआत में आयोजित करने पर सहमत हुए.
रक्षा और सुरक्षा सहयोग
- दोनों ही देश वर्ष 2015 में पहली बार द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास के लिए राजी हुए. रक्षा सहयोग के बढ़ाने जिसमें रक्षा विज्ञान और उद्योग में करीबी संबंध और सहयोग शामिल है, के पहल पर कम जारी है.
- प्रधानमंत्री मोदी को वर्ष 2015 में होने वाले गल्लाईपोली की 100 वर्षगांठ के स्मृति समारोह में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री की तरफ से हिस्सा लेने का आमंत्रण मिला था.
- दोनों ही देश रक्षा और सुरक्षा भागीदारी को मजबूत बनाने और रक्षा, आतंकवाद, साइबर नीति, अंतरराष्ट्रीय अपराध, निरस्त्रीकरण और अप्रसार, मानवीय सहायता, आपदा प्रबंधन और शांति के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
- दोनों ही देशों ने रक्षा और सुरक्षा सहयोग में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत बनाने के लिए रूपरेखा बनाने हेतु मार्गदर्शन की बात कही.
ऊर्जा, विज्ञान, जल, शिक्षा और कौशल में सहयोग
- दोनों ही देश ऑस्ट्रेलिया– भारत रणनीतिक अनुसंधान फंड (एआईएसआरएफ) को आगामी चार वर्षों के लिए बढ़ाने पर सहमत हो गए.
- एआईएसआरएफ ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं को नवीनतम वैज्ञानिक परियोजनाओं और भारतीय वैज्ञानिकों के साथ कार्यशालाओं में हिस्सा लेने में मदद करता है. यह ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय शोधकर्ताओं के रणनीति भागीदारी के विकास को बढ़ावा देता है.
- ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट ने मुंबई विश्वविद्यालय में नए कोलंबो प्लान का भी आरंभ किया.
अपने दौरे के दौरान ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट ने भारत को एक उभरता हुआ लोकतांत्रिक महाशक्ति बताया और भारत में व्यापार के लिए प्रचुर मात्रा में मौजूद अवसर की बात कही. उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय में नए कोलंबो प्लान का भी आरंभ किया.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation