काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइकः क्या है ये विमुद्रीकरण?

Nov 23, 2016, 10:52 IST

आधी रात में जब दुनिया सो रही थी, भारतीय धोखेबाज और भ्रष्ट लोगों की नींद उड़ गई और भारत ने अपने सबसे बड़ी बुराई 'काला धन' से जंग शुरु की। इस बार फिर से 9/11 विपत्ती बन कर आया, पर सिर्फ उनलोगों के लिए जो नियमों के विपरीत काम अपना गोरख धंधा चला रहे थे| हर तरफ एक चुटकुला चल रहा था– जब अमेरिकी वोटों की गिनती कर रहे थे, भारतीय नोटों की गिनती करने में व्यस्त थे।

आधी रात के समय जब दुनिया सो रही थी, भारत ने भ्रष्ट और काले धन के माफियायों के खिलाफ़ जंग शुरु कर दिया। इसी के साथ तारीख़ 9/11, एक बार फिर से विपत्ती बन कर आया, पर सिर्फ उनलोगों के लिए जो भारतीय नियमों के विपरीत अपना व्यवसाय या गोरख धंधा चDeclaration of Demonetisationला रहे थे| एक चुटकुला ये भी चल रहा था कि– जब अमेरिकी वोटों की गिनती कर रहे थे, भारतीय नोटों की गिनती करने में व्यस्त थे।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नंवबर की रात काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सबसे साहसी फैसले की घोषणा की। यह फैसला उनके पदभार संभालने के बाद उठाया गया अब तक का सबसे साहसी फैसला था। राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने कहा कि 500 रु. और 1,000 रु. के नोट मध्यरात्रि से प्रचलन में नहीं रहेंगे। यह फैसला काले धन और भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए लिया गया था। हालांकि 100, 50, 20, 10, 5, 2 और 1 रुपये के नोट वैध बने रहेंगे और उन पर इस फैसले का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस उद्घोषणा के बाद राष्ट्र–विरोधी और समाज–विरोधी तत्वों द्वारा जमा कर रखे गए पांच सौ और हजार रुपए के नोट अब सिर्फ कागज के बेकार टुकड़े भर हैं। सभी राष्ट्र– विरोधी और भ्रष्ट लोगों को नियम के दायरे में लाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि ईमानदार, कड़ी मेहनत करने वाले लोगों के अधिकारों और हितों की पूरी तरह से रक्षा की जाएगी। चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि, "आपका पैसा आखिरकार आपका ही है।"

इस फैसले के बाद मुद्रास्फीति के कम होने की उम्मीद है क्योंकि फैसले से विशेष खपत कम हो जाएगी। प्रधानमंत्री के अनुसार, "भ्रष्टाचार के ट्यूमर से– परीक्षित, परखे और विफल रहे तरीकों से नहीं लड़ा जा सकता" और समय भारत के दुश्मनों को हराने के लिए नए तरीके अपनाने का था। केंद्रीय बैंक (आरबीआई) के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मार्च 2017 तक आरबीआई 16 लाख करोड़ रुपये मूल्य की मुद्रा में से 14 लाख करोड़ रुपये मूल्य की मुद्रा जारी करेगा। ये मुद्रा 500 रु. और 1,000 रु. के नोट के रूप में होंगे।

यह वि–मुद्रीकरण क्यों?
इस सख्त और निर्णायक फैसले के पीछे कई वजहें हैं। ये आज के किसी भी सरकार के लिए बेहद गंभीर चिंता का विषय है। कुछ कारण हैं–
इन मूल्यवर्ग में नकली भारतीय करंसी नोट्स (एफआईसीएन) का प्रचलन बहुत अधिक है। एक आम आदमी के लिए नकली नोट असली नोटों जैसा ही होता है। ऐसे नोटों का उपयोग आतंकवाद एवं नशीली दवाओं की तस्करी की वजह बनते हैं। उच्च मूल्य–वर्ग के ये नोट काला धन बनाने की सुविधा के तौर पर जाने जाते हैं।
दूसरी वजह है विश्व बैंक का जुलाई 2010 में किया गया अनुमान। इसके अनुसार वर्ष 1999 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आभासी अर्थव्यवस्था का आकार 20.7% था जो वर्ष 2007 में बढ़कर 23.2% हो गया था। एक समानांतर आभारी अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति पैदा करती है जो अन्यों के मुकाबले गरीब और मध्यम वर्ग पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव डालती है। यह सरकार को वैध राजस्व, जिसका प्रयोग कल्याण एवं विकास संबंधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाता, से वंचित कर देता है।

 

क्या है विमुद्रीकरण: यह एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा उच्च मूल्य वाले मुद्राओं को अवैध घोषित कर दिया जाता है और क्रमशः इसे बाज़ार के लेन-देन की प्रक्रिया से निकाल दिया जाता है| इस फैसले के अनुसार भारत में 500 और 1000 रुपए के नोट अवैध हो गए, या यूं कहें की इसकी कानूनी मान्यता समाप्त हो गयी|
विमुद्रीकरण सामान्य रूप में क्यों इस्तेमाल किया जाता है?
जहाँ कहीं भी राष्ट्रीय मुद्रा को बदला जाना निश्चित होता है वहाँ ये प्रक्रिया अपनायी जाती है| इसके तहत सभी पुराने मुद्राओं को हटाकर नए मुद्राओं को लाया जाता है| इस प्रक्रिया से किसी भी अर्थव्यवस्था को काले धन पर रोक लगाने में सहायता मिलती है|

यह सब अचानक किया गया या यह एक सुनियोजित योजना थी?

नहीं, यह अचानक नहीं किया गया। वास्तव में यह फैसला इस सरकार द्वारा अच्छी तरह से बनाई गई और सुनियोजित योजना थी। पैटर्न देखने के लिए हमें इस सरकार द्वारा सत्ता में आने के बाद उठाए गए कदमों को एक दूसरे से जोड़ कर देखना होगा।
मई 2014 में काले धन पर एसआईटी (विशेष जांच टीम) बनाने का फैसला। अघोषित विदेशी आय और संपत्ति पर कानून बनाना, भारत और मॉरिशस एवं भारत और साइप्रस के बीच दोहरे कराधान बचाव समझौते में संशोधन, एचएसबीसी में भारतीयों के बैंकखातों की जानकारी प्राप्त करने के लिए स्विट्जरलैंड के साथ समझौता, गैर– नकदी और डिजिटल भुगतानों के उपयोग को बढ़ावा देना, बेनामी लेन–देन अधिनियम में संशोधन और आमदनी घोषणा योजना 2016 को लागू करना।
इन रणनीतिक कदमों के अलावा सरकार ने कुछ समय पहले जन–धन योजना की घोषणा की थी। इसके तहत बैंक में अब तक अपना खाता न रखने वाले लोगों को भी शून्य बैंलेस (बिना पैसों के) पर खाता खोलने की सुविधा दी गई थी। जन–धन योजना के साथ यह फैसला करने में सरकार बहुत अच्छी स्थिति में आ गई थी। इस योजना ने सुनिश्चित किया कि प्रत्येक भारतीय के पास बैंक खाता हो, जमाखोरों/ विदेशी खाता धारकों पर कानूनी कार्रवाई की वजह से 80,000 करोड़ रुपये जमा हुए। आमदनी घोषणा योजना ने दंड स्वरूप सरकार को कुछ टैक्स (कर) देकर काले धन को सफेद बनाने के लिए मंच प्रदान किया। इस कदम से जिसके लिए सितंबर 2016 तक की अवधि निर्धारित की गई थी, सरकार ने 65,000 करोड़ रु. जमा किए।
और फिर आया 8 नवंबर का 'डी' डे, जब उच्च मूल्य– वर्ग के नोट वैध नहीं रहे।
यह मानने के लिए कि इसकी योजना पहले से ही थी, आपको सिर्फ सरकार के हर कदम को एक दूसरे से जोड़ कर देखने की जरूरत है। मोदी ने खुद काले धन के विषय में सख्त निर्णय लिए जाने के बारे में चेतावनी दी थी। आप यदि अभी भी चीजों को एक दूसरे से जोड़ कर नहीं देख पा रहे हैं, तो काला धन रखने वालों के लिए यह समस्या है, हम सुनिश्चित करेंगे कि या तो आप अपने काले धन की घोषणा करें और मुख्य धारा में शामिल हो जाएं या फिर आप बर्बाद कर दिए जाएंगे।

फैसले की मुख्य बातें
•    इस फैसले के बाद 9 नवंबर से 500 रु. और 1000 रु. के नोट अवैध हो जाएंगे।
•    उच्च मूल्य वाले ये सभी नोट 10 नवंबर से 30 दिसंबर तक बैंकों और डाक घरों में जमा कराए जा सकते हैं।
•    30 दिसंबर  2016 के बाद ये सभी नोट व्यक्तिगत घोषणा के साथ सिर्फ आरबीआई स्वीकार करेगी।
•    उच्च विनिमय वाले सारे लेन-देन का ब्यौरा कर अधिकारी के पास मूल्यांकन के लिए भेजा जायेगा|
•    भारतीय रिज़र्व बैंक ने 500 और 2000 रुपए के नए नोट प्रिंट किये हैं|

इस फैसले का तात्कालिक प्रभाव  

विमुद्रीकरण का पूरी अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। कुछ क्षेत्रों में इसके सकारात्मक प्रभाव दिखेंगे जबकि कुछ में नकारात्मक। कुल मिलाकर यह कदम अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए ही नहीं उठाया गया है बल्कि इसके जरिए पाकिस्तान संरक्षित कुछ आतंकवादी संगठनों, जो आतंकवाद को पनाह देते हैं और नकली नोट देश में लाकर भारत की अर्थव्यवस्था को अस्थिर बनाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं, को लक्ष्य बनाया गया है। सीमा पार के दुश्मन इन जाली नोटों का उपयोग कर अपना अभियान चला रहे हैं।
यहां हम देखेंगे कि सामान्य रूप से यह अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करेगाः–

सकारात्मक प्रभाव
1.    मुद्रास्फीतिः मुद्रास्फीति तब जब कुछ सामानों को खरीदने के लिए बहुत सारा पैसा हो। इस फैसले के बाद बाजार से बहुत सारा पैसा बाहर हो जाएगा, इसलिए वस्तुएं और सेवाएं सस्ती हो जाएंगी।
2.    बैंकः बैंकों को उच्च सीएएसए विकास का लाभ मिलेगा। यह फैसला लोगों को अपने वैध धन को उनके बैंक अकाउंट में जमा कराने को बाध्य करेगा, नतीजतन 190 बिलियन अमेरिकी डॉलर नकद जमा होगा।
3.    ऋणः आवास ऋण के कम होने की उम्मीद है।
4.    क्रेडिट कार्डः कुछ समय के लिए क्रेडिट कार्ड के बाजार में तेजी आने की उम्मीद है।
5.    निवेशः सोना, चांदी, हीरे जैसी वस्तुओं में निवेश में तेजी आएगी।
6.    अर्थव्यवस्थाः अर्थव्यवस्था से काला धन बाहर हो जाएगा जिससे स्वच्छ अर्थव्यवस्था बनेगी।
7.    किसानः बाजार से काला धन बाहर होने के साथ बिचौलिए भी खत्म हो जाएंगे। आखिरकार किसानों को काफी नकद मिलेगा।
नकारात्मक प्रभाव
1.    शेयर बाजारः जब कभी भी कोई विघटनकारी फैसला बाध्यकारी किया जाता है तो बाजार का रूख 'तेजी' से बदलता है। हाल के रूझान बता रहे हैं कि शेयर बाजार काफी नीचे जा रहा है।  
2.    रियल स्टेटः अनुमान है कि काले धन की वजह से रियल स्टेट काफी फल– फूल रहा है। रियल स्टेट के कुल कारोबार में काले धन की हिस्सेदारी 70 फीसदी तक मानी गई है। फिलहाल इस फैसले से यह क्षेत्र सबसे अधिक नुकसान में जाता दिख रहा है।
3.    एमएफआई और एनबीएफसीः नकदी के न होने के कारण जमा– चक्र कुछ दिनों के लिए बाधित हो सकता है।
4.    उपभोक्ताओं के लिए उपयोगी वस्तुएं यानि घरेलू व्यक्तिगत सामान।
5.    शराब का भंडार और तंबाकू, रेत्रां, कसीनो, गहने।
अप्रभावित
1.    चेक या भुगतान के इलेक्ट्रॉनिक तरीके  जैसे इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल वैलेट, आईएमपीएस, क्रेडिट/ डेबिट कार्ड्स।
2.    आईटी सेवाएं
3.    अंतरराष्ट्रीय व्यापार
4.    अस्पताल
5.    पेट्रोल पंप

क्या यह अब तक का पहला विमुद्रीकरण है?

विमुद्रीकरण एक प्रक्रिया है जिसमें नकली नोट बनाने से रोकने के लिए उच्च मूल्य वाले नोटों को बाजार से हटा लिया जाता है । लेकिन इस बार यह कदम काले धन से निपटने के लिए उठाया गया है। स्वतंत्रता के बाद से अब तक भारत में ऐसा दो बार किया जा चुका है। जनवरी 1946 में सरकार ने जालसाजी से निपटने के लिए 1,000 और 10,000 रु. के नोट वापस ले लिए थे। हालांकि वर्ष 1954 में इन नोटों को 1000, 5000 और 10,000 रु. के नोट के रूप में फिर से वापस लाया गया था।
जब जनता पार्टी की सरकार सत्ता में आई तो 1978 में इन नोटों का एक बार फिर से विमुद्रीकरण हुआ।

सरकार की चुनौतियां:
1. नई मुद्राओं का मुद्रणः अधिकारियों के अनुरोध पर अलग मूल्य के साथ 500रु. और 1,000 रु. के उच्च मान वाले सभी नोटों को हटाने से भारतीय रिजर्व बैंक को उपयोग के लिए उपलब्ध नोटों की मात्रा और उन्हें मुद्रित कराने में आने वाली लागत के संदर्भ में करीब 15,000 करोड़ रु. से 20,000 हजार करोड़ रु. खर्च करने होंगे। इस लागत में और इजाफा हो सकता है क्योंकि अतिरिक्त सुरक्षा उपाय जैसे इलेक्ट्रॉनिक चिप बनाना, जिसे नए नोटों में लगाया जाना है, सिर्फ मुद्रण लागत में इजाफा करेंगे।
2. पुराने नोटों को प्रतिस्थापित करनाः अर्थव्यवस्था में नकद प्रवाह पर आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार 15 लाख करोड़ मूल्य से अधिक की उच्च– मूल्य वाली मुद्राओं को बाजार से वापस लिया गया है। इनमें से ज्यादातर मुद्राएं लोगों द्वारा बैंकों में जमा की जाएंगी। इसलिए 2,300 करोड़ बैंकनोट की एक ही बार में प्रतिस्थापन स्पष्ट रूप से बुरे सपने जैसा होगा।
3. 2000 रु. के नोट को लाना अभी भी पहेली बना हुआ है। आखिर कैसे यह नए काले धन को बनने से रोक पाएगा।
4. व्यापार में बाधाः सब्जियों और बाजार से ली जाने वाली अन्य महत्वपूर्ण चीजों जैसे घरेलू वस्तुओं की खरीद– फरोख्त (रियल– स्टेट लेन–देन के अलावा) में अस्थायी रूप से बाधा आएगी। इन वस्तुओं को खरीदने के लिए नकद की जरूरत होती है और यह बुरी तरह से प्रभावित होगा।
5. चूंकि भारत में पिछला विमुद्रीकरण बड़े पैमाने पर विफल रहा था, इसलिए सरकार के लिए इसे सफल बनाना और इसके लक्ष्यों को प्राप्त करना एक चुनौती होगी।
हालांकि, विरोधियों के पास सरकार की आलोचना करने की अपनी वजहें हैं। उनका कहना है कि भारत एक मुद्रा आधारित अर्थव्यवस्था है जहां किसानों से लेकर दैनिक मजदूरों तक को 500 रु. और 1000 रु. का भुगतान किया जाता है। यह वर्ग नई व्यवस्था को समझ नहीं पाएगा और आने वाले दिनों में बैंकों के बाहर नजर आएगा। छोटे व्यापारियों और विक्रेताओं को बाजार में बेचने या अपनी आजीविका के लिए सामान खरीदने और पैसे चुकाने की जरूरत होती है। वे नहीं जानते कि सरकार के इस कदम पर कैसे प्रतिक्रिया करें या आने वाले दिनों में कैसे जीवनयापन करें।

कुछ अन्य लोगों से मिल रही आलोचना के अनुसार इस घोषणा का समय थोड़ा अजीब है। यह ऐसे समय में किया गया जब ज्यादातर दुकानें बंद हो चुकी थीं। उनके पास उच्च मूल्य वाले नोटों को बदलने का कोई विकल्प नहीं बचा था।
ये तर्क हालांकि बहुत कारगर नहीं हैं। जब हम कुछ सख्त फैसले करते हैं, शुरुआत में यह अजीब लगता है लेकिन दीर्घकाल में यह समाज के लिए अच्छा साबित होता है। समाज का हित हमेशा व्यक्तिगत हित से बड़ा होता है। जैसा कि नेहरू जी ने अपने प्रसिद्ध भाषण में कहा था–
"आधी रात को जब दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जागेगा। एक क्षण आता है, लेकिन इतिहास में वह दुलर्भ क्षण होता है, जब हम पुराने से निकल कर नए में आते हैं, जहां एक युग समाप्त होता है और जब लंबे समय से दबा कर रखी गई एक राष्ट्र की आत्मा को आवाज मिलती है।
इस पवित्र क्षण में हम भारत माता और उनकी जनता की सेवा एवं मानवता के प्रति समर्पित होने की प्रतिज्ञा करते हैं।"

फिलहाल, जैसा कि हम देख सकते हैं कि यह भाषण आने वाले वर्षों में राष्ट्र के लिए सच साबित हो सकता है और हम किस प्रकार अपने समाज का नेतृत्व करते हैं, इस पर भी यह  कुछ हद तक निर्भर करेगा।

Sharda Nand is an Ed-Tech professional with 8+ years of experience in Education, Test Prep, Govt exam prep and educational videos. He is a post-graduate in Computer Science and has previously worked as a Test Prep faculty. He has also co-authored a book for civil services aspirants. At jagranjosh.com, he writes and manages content development for Govt Exam Prep and Current Affairs. He can be reached at sharda.nand@jagrannewmedia.com
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