केंद्र सरकार ने 30 जनवरी 2014 को आईएएस, आईपीएस और भारतीय वन सेवा (आईएफओ) के अधिकारियों के लिए एक पोस्टिंग में कम–से–कम दो वर्ष तक स्थांतरण न करने का फैसला किया. नियमों में संशोधन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से राजनीतिक हस्तक्षेप को रोकने के लिए किया गया.
आईएएस/आईपीएस/आईएफएस कैडर के नियमों में संशोधन की मुख्य बातें:-
• प्रत्येक राज्य अब मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सिविल सेवा बोर्ड की सिफारिश पर कैडर अधिकारियों की नियुक्ती करेगा. कैडर अधिकारी का तबादला सिर्फ बोर्ड की सिफारिशों के आधार पर ही निर्धारित समय से पहले किया जा सकेगा.
• सक्षम पदाधिकारी बोर्ड की सिफारिशों को अस्वीकार कर सकते हैं लेकिन इसके लिए दिया गया कारण का रिकॉर्ड रखना होगा.
• कैडर अधिकारी किसी भी कैडर पद पर किसी कार्यालय में कम– से– कम दो वर्ष तक रहेगा, सिवाए तब जब उस बीच उसका/की पदोन्नति, सेवानिवृत्ति या प्रतिनियुक्ति पर बाहर भेजा गया/गईं हो या दो माह से अधिक के प्रशिक्षण के लिए बाहर हों.
• कैडर अधिकारी के गैर– कैडर पद पर नियुक्ति की निश्चित अवधि राज्य सरकार निर्धारित कर सकती है.
• बोर्ड समय से पहले किए गए तबादलों की जांच, अगर वह ठीक समझे तो निश्चित अवधि से पहले किए गए परिस्थितजन्य तबादलों पर विचार और समय से पहले तबादला करने वाले अधिकारी का नाम कारण समेत लिखित में रिकॉर्ड कर सकता है.
• बोर्ड समय से पहले तबादलों के लिए संबंधित राज्य के प्रशासनिक विभाग से औचित्य की मांग कर सकता है, जिस अधिकारी का तबादला किया जाना है उसकी टिप्पणी या विचारों को ले सकता है और समय से पहले किए जाने वाले तबादले के कारणों से बोर्ड संतुष्ट नहीं है तो वह तबादले की सिफारिश नहीं करेगा.
• बोर्ड को केंद्र सरकार को हर तिमाही में समय से पहले तबादले किए जाने की सिफारिश वाले सभी अधिकारियों का विवरण और कारण की रिपोर्ट भेजनी होगी.
इससे पहले 31 अक्टूबर 2013 को अपने ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नौकरशाहों के लिए निश्चित अवधि सुनिश्चित करने का आदेश दिया था. सिविल सेवाओं में राजनीतिक हस्तक्षेपों पर अंकुश लगाने के लिए यह ऐतिहासिक फैसला न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णनन और पिनाकी चंद्रा घोष की खंडपीठ ने दिया था. तेरह से अधिक राज्यों ने कार्यकाल की स्थिरता के लिए आईएएस (कैडर) नियम को अधिसूचित किया था जबकि ग्यारह राज्यों को ऐसा करना बाकी है.
बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात औऱ पश्चिम बंगाल ने नियमों को कानूनी जटिलताओं, पहले से ही मौजूद ऐसा ही कानून और मौजूदा स्थिर कार्यकाल का हवाला देते हुए नए नियमों को मानने से इंकार कर दिया था.
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