रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने 17 जून 2015 को नई दिल्ली में फार्मा सेक्टर के लिए क्लस्टर विकास योजना (सीडीपी-पीएस) आरम्भ की.
यह कार्यक्रम फार्मा इंडस्ट्री में कार्यरत छोटे तथा मध्यम दर्जे की इकाइयों को अधिक क्षमतावान, उत्पाटदकतावान और प्रतिस्पडर्द्धी बनाने में मददगार साबित होगा.
कार्यक्रम के उद्देश्य
- इससे इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा जिससे उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होगी.
- इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधार कर भारतीय फार्मा इंडस्ट्री को विश्व की अग्रणी कम्पनियों को भारत से दवा निर्यात करना.
- दवाओं के लागत मूल्य को 20 प्रतिशत तक कम करना जिससे देश में सस्ती दवाओं की उपलब्धता मुहैया करायी जा सके.
- पर्यावरण को स्वच्छ बनाये रखने के लिए इंडस्ट्री की आवश्यक शर्तों का पालन करना तथा कॉमन वेस्ट मैनेजमेंट का पालन करना.
सीडीपी-पीएस की विशेषताएं
- देश में स्वास्थ्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में भी यह प्रोग्राम काफी मददगार होगा.
- वर्तमान में इस तरह के क्लस्टर हिमाचल स्थित बद्दी, उत्तराखंड में हरद्वार, हरियाणा में गुडगाँव, तेलंगाना में पत्तन्चेरू तथा महाराष्ट्र में नाशिक में स्थित हैं.
- चालू वित्तं वर्ष के अंत तक 6 फार्मा क्लास्ट्र शुरू किए जाएंगे, जिसमें से तीन ग्रीनफील्डग में होंगे. यह क्ल स्ट र फार्मा इंडस्ट्रीर के लिए पर्याप्तज टेस्टिंग, ट्रेनिंग और एफ्यूलेंट ट्रीटमेंट को सुनिश्चित करेंगे.
- सरकार भी जल्दग ही ड्रग पार्क और मेडिकल डिवाइसेज़ पार्क स्था्पित करेगी. फार्मा सचिव डा. वी के सुब्बू्राज ने कहा कि फार्मा इंडस्ट्री सालाना 14 से 15 फीसदी की दर से विकास कर रही है और वर्ष 2020 तक यह 4 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को छू जाएगी.
टिप्पणी
यह कार्यक्रम मेक इन इंडिया कार्यक्रम का ही भाग है जिसके अंतर्गत फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री की उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर बल दिया गया है. भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा फार्मास्यूटिकल उद्योग उत्पादक देश है. यह प्रतिवर्ष 14 से 15 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है तथा वर्ष 2020 तक भारत में इसका मूल्य 4 लाख करोड़ रूपए होगा.
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