केंद्र सरकार ने 30 दिसंबर 2014 को राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड परियोजना (NATGRID) पर विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा आंकड़े एवं सूचनाये साझा करने की आशंका को दूर करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया. राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड ख़ुफ़िया सूचनाओं को समय पर साझा करने के लिए बनाया गया वास्तविक तंत्र है. समिति का गठन केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में किया जाएगा. समिति के अन्य सदस्यों में सभी खुफिया एजेंसियों और जांच कर रही इकाइयों के प्रमुख शामिल होंगे.
समिति 22 एजेंसियों के साथ जिनमें इनटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW), केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), वित्तीय खुफिया इकाई (FIU), राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI), और सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT), शामिल हैं, भविष्य में लिए जाने वाले फैसलों के बारे में चर्चा करेगी. यह समिति राज्य सरकारों के साथ मुद्दों, आंकड़े साझा करने, समन्वय और सूचना के प्रसार में तालमेल लाने के लिए रणनीति पर भी चर्चा करेगी.
राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड परियोजना (NATGRID) के बारे में
मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के बाद राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड परियोजना स्थापित करने का विचार आया था. वर्ष 2009 को परियोजना को प्रारम्भ किया गया. पिछली संप्रग सरकार ने राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड परियोजना को जून 2011 में मंजूरी प्रदान की. इस परियोजना का उद्देश्य देश-विदेश में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों तथा कानून लागू करने वाली एजेंसियों को ठोस सूचना का आदान-प्रदान करना है. राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड परियोजना के तहत विभिन्न सार्वजनिक और निजी एजेंसियों द्वारा रखे जा रहे 21 श्रेणियों के डाटाबेसों को जोड़ा गया है, ताकि देश की सुरक्षा एजेंसियों तक उसकी पहुंच हो सके.
शुरूआती योजना के तहत नेटग्रिड के डाटाबेस तक 11 एजेंसियों की पंहुच रखती थी लेकिन राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड की रेलवे व हवाई यात्रा, आय कर, बैंक खातों, क्रेडिट कार्ड से लेनदेन, वीसा के रिकॉर्ड सहित 21 श्रेणी के डाटाबेस तक पंहुच है. इनमें सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय, रिसर्च ऐंड एनालिसिस विंग और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद जैसी विभिन्न केन्द्रीय एजेंसियां शामिल है.
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