केंद्र सरकार ने रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी कम्पनियों की भूमिका बढाने और उन्हें आकर्षित करने के उद्देश्य से 1 जून 2015 को रक्षा के नियमों को सरल करने की घोषणा की.
इस क्रम में सरकार ने सीमा एवं उत्पाद शुल्क में कटौती की है. अब तक इस तरह की शुल्क सुविधा आयुद्ध निर्माणी बोर्ड और रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों को प्राप्त थे.
परन्तु इस घोषणा के बाद भारत की निजी कंपनियों के लिए बोइंग, एयरबस और लॉकहीड मार्टिन जैसी अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियों के साथ मिलकर रक्षा उपकरण निर्माण करना संभव होगा.
भारत का रक्षा क्षेत्र
केंद्र सरकार के मेक इन इण्डिया अभियान के तहत चुने गए 25 क्षेत्रों में रक्षा क्षेत्र एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है. विदित हो कि भारत विश्व का सबसे बड़ा युद्ध उत्पाद आयातकर्ता देश है.
सरकार ने रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ा कर 49 प्रतिशत कर दिया है.
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