केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 13 अप्रैल 2014 को पहली बार युवा महिलाओं को सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में बतौर कॉम्बेट ऑफिसर (लड़ाकू अधिकारी) शामिल करने की मंजूरी दी. एसएसबी सीमा की रखवाली करने वाला दूसरा सबसे बड़ा बल है.
25 वर्ष या उससे कम की युवा महिलाओं की भर्ती सीधए सहायक कमांडेंट (एसी) के पद पर की जाएगी. महिला अधिकारियों को भारतीय सीमा के दूर– दराज की सीमाओं जैसे नेपाल और भूटान की सीमा पर सेवा देने का अवसर मिलेगा.
अब तक महिलाएं कॉम्बेट की वर्दी तीन अन्य सरकारी सुरक्षा बलों – केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और सीमा सुरक्षा बल में ही पहना करती थीं.
हालांकि भारत– तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) बल में महिलाओं को अभी भी चीन सीमा पर सेवा देने का मौका नहीं मिलेगा.
साल 2007 में एसएसबी ने पहली बार जूनियर रैंक के कॉन्सटेबल के पद पर महिलाओ को भर्ती की थी लेकिन तब से दल की कमान पुरुष अधिकारियों के पास ही थी और इसलिए अर्द्धसैनिक बल में महिला अधिकारियों की जरूरत को महसूस किया गया.
सशस्त्र सीमा बल के बारे में
सशस्त्र सीमा बल या एसएसबी भारत के केंद्रीय सैन्य पुलिस बल में से एक है. इसे अक्सर अर्द्धसैनिक बल के रूप में जाना जाता है. फिलहाल यह गृह मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशानिक नियंत्रण में है. पहले इसे विशेष सेवा ब्यूरो के नाम से जाना जाता था.
बल का सर्वोच्च मुख्यालय फोर्स हेडक्वाटर्स (एफएचक्यू) है जिसे एसएसबी महानिदेशालय भी कहा जाता है. यह दिल्ली में है. फोर्स हेडक्वाटर की कमान महानिदेशक (डी– जी) रैंक के अधिकारी के हाथों में होती है. एसएसबी के वर्तमान डी–जी अरुण चौधरी हैं.
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