16 से 18 वर्ष के किशोर अपराधियों पर वयस्कों के लिए बने कानूनों के तहत मुकदमा चलाने के प्रस्ताव को 22 अप्रैल 2015 को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद महिला और बाल विकास मंत्रालय के जेजे एक्ट में संशोधन के इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.
इस प्रस्ताव के अनुसार किशोर अपराधी की उम्र अपराध की गंभीरता के हिसाब से तय होनी चाहिए. इसके तहत हत्या या बलात्कार जैसे संगीन मामलों में शामिल किशोरों को कम उम्र होने पर भी सज़ा मिल सकती है.
इस संशोधन अधिनियम के तहत 16 से 18 वर्ष की उम्र के अपराधियों को जघन्य अपराधों के मामले में सज़ा दिए जाने के लिए नए सिरे से न्यायिक प्रक्रिया तय की जाएगी.
16 दिसंबर के निर्भया मामले के बाद पूरे देश यह चर्चा शुरू हुई थी कि क्या जघन्य अपराधों में शामिल किशोरों को भी कम उम्र का लाभ दिया जाना चाहिए? महिला और बाल कल्याण मंत्रालय ने इस सिलसिले में एक ड्राफ्ट बिल सार्वजनिक किया था जिसके लिए 2200 से अधिक सुझाव आए.
सुप्रीम कोर्ट ने 6 अप्रैल 2015 को किशोर न्याय कानून (जेजे एक्ट) में केंद्र सरकार से एक माह में बदलाव करने की अपील की थी.

Comments
All Comments (0)
Join the conversation