केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने गिन्नी गोल्ड बॉन्ड योजना का मसौदा जारी किया

Jun 22, 2015, 14:45 IST

केंद्र सरकार ने गिन्नी गोल्ड बॉन्ड योजना मसौदा की रूप रेखा 19 जून 2015 को जारी किया

केंद्र सरकार ने गिन्नी गोल्ड बॉन्ड योजना मसौदा की रूप रेखा 19 जून 2015 को जारी की. सरकार ने इसमें सुधार के लिए 2 जुलाई 2015 तक सुझाव मांगे हैं.
योजना का उद्देश्य भौतिक रूप से सोने की मांग को कम करने और इस मांग के हिस्से को अनुमानित 300 टन तक शिफ्ट करने का उद्देश्य के साथ साथ प्रति वर्ष निवेश के लिए सोने के सिक्कों की स्वर्ण बांड योजना के माध्यम से डीमैट गोल्ड बांड को बढ़ावा देना है.

गोल्ड बांड योजना की विशेषताएँ

•  बांड पैसे के भुगतान पर जारी किया जाएगा और इसे सोने की कीमत से जोड़ा जाएगा.
• निवासी भारतीय संस्थाओं के लिए बिक्री को प्रतिबंधित किया जाएगा,यानी ईएसआई इकाइयों के लिए एक सीमा निर्धारित की जाएगी, जिसके तहत प्रत्येक इकाई प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 500 ग्राम से अधिक नहीं खरीद सकते.
• बांड 2, 5 और 10 ग्राम सोने के मूल्यवर्ग में जारी किए जाएंगे या अन्य मूल्यवर्ग में भी जारी किए जा सकते हैं.
• बांड ब्याज एक साधारण दर के साथ जारी किया जाएगा. (सोना पर उधारी के लिए उसे अंतरराष्ट्रीय ब्याज दर से जोड़ा जाएगा.)
• बॉन्ड पर ब्याज की दर सोने के ग्राम के मामले में देय होगा.ब्याज की गणना एक निश्चित दर 10000 पर की जाएगी जो 2 या 3 प्रतिशत हो सकती है.
• परिपक्वता पर निवेशक को सोने की अंकित मूल्य के बराबर रूपए दिए जाएँगे.
• बांड भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा भारत सरकार की ओर से जारी किए जाएंगे.
• बांड का डाकघरों के माध्यम से (किसान विकास पत्र) की तरह और विभिन्न दलालों/ एजेंटों द्वारा विपणन किया जाएगा. जिन्हें कमीशन दिया जाएगा.

• सोने की कीमत नेशनल कमोडिटी और डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स)/ लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन/ भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से निर्धारित की जाएंगी और गोल्ड बांड के बराबर राशि भारतीय रिजर्व बैंक मानकों के अनुरूप परिवर्तित किया जा सकता है.

• बैंकों/गैर बैंक वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी)/डाकघर सरकार की ओर से बांड के एवज में पैसे इकट्ठा कर सकते है.शुल्क और  राशि के सम्बन्ध में फैसला बाद में किया जाएगा.

• पूंजीगत लाभ और भौतिक सोने पर करों की दर सामान होंगी. इससे यह सुनिश्चित किया जायेगा   कि गोल्ड बांड में निवेश और सकल सोने की खरीद में निवेशक को करों का भुगतान एक जैसा ही होगा.
• बांड की अवधि 5 से 7 साल न्यूनतम हो सकती है.इससे सोने की कीमतों में मध्यम अवधि के उतार-चढ़ाव से निवेशकों का निवेश सुरक्षित रहेगा.
• ये बांड आसानी से बेचे जा सकते हैं और इनसे कमोडिटी एक्सचेंजों पर कारोबार किया जा सकता है.
• बांड ऋण के लिए जमानत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.ऋण अनुपात का मूल्यांकन समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनिवार्य साधारण गोल्ड लोन के बराबर किया जा सकता है.
• ये गोल्ड बांड ऋण के लिए उचित माध्यम है. इसे 2015 - 16 और उसके बाद राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को कम किया जा सकेगा.

टिप्पणी

गिन्नी के स्वर्ण बांड योजना का मसौदा की रूप रेखा की घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के 2015-16 के बजट भाषण में भी शामिल है.
28 फरवरी 2015 को जेटली ने तीन प्रमुख पहल की जिनमे गोल्ड मोनेटाइजेसन योजना, सोवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना और भारतीय सोने का सिक्का योजना हैं. इसका उद्देश्य भौतिक सोने की मांग पर अंकुश लगाने और सोने के आयात पर निर्भरता को कम करना है.
गोल्ड मोनेटाइजेसन  योजना (जीएमएस) के लिए मसौदा रूपरेखा 19 जून 2015 को जारी किया गया. यह योजना सोना जमा और स्वर्ण धातु ऋण योजना दोनों का स्थान लेगी और जमाकर्ताओं को उनके सोने पर ब्याज दिया जा सकेगा.
भारतीय सोने का सिक्का योजना के तहत  सिक्के पर राष्ट्रीय चिन्ह अशोक चक्र बनाया जाएगा, इससे सोने के सिक्कों के लिए मांग को कम करने में मदद मिलेगी और देश में सिक्के की उपलब्धता सुगम होगी.

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