भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू और सिख शरणार्थियों के लिए कई रियायतों की 13 नवम्बर 2014 को घोषणा की. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 31 दिसंबर 2009 के पहले भारत आए पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता के लिए हाथों हाथ आवेदन स्वीकार करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी.
गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय के नागरिकों को भारतीय नागरिकता के लिए अपने आवेदन जमा करने में हो रही कठिनाइयों पर विचार करते हुए यह निर्णय लिया.
प्रपत्र भरने के मानदंड
• नागरिकता पाने के पात्र आवेदक अब अपने पासपोर्ट के साथ खुद जिलाधिकारी या उपायुक्त कार्यालय में आवेदन जमा कर सकते हैं. शर्त यह है कि आवेदन करते समय इन आवेदकों का दीर्घकालिक वीजा वैध हो. इसके लिए नागरिकता नियमावली 2009 के नियम 38 के तहत अधिकारी के समक्ष एक शपथ पत्र दायर करना होगा. उसे परित्याग (रिंनसिएशन) प्रमाण पत्र के स्थान पर समझा जायेगा.
• इन दोनों देशों के अल्पसंख्यक समुदाय के ऐसे शरणार्थियों के बच्चे जो अपने माता-पिता के पासपोर्ट के आधार पर भारत आ गये थे, वे भी भारतीय नागरिकता के लिए पासपोर्ट के बिना आवेदन कर सकते हैं. ऐसा भारत में बितायी गयी अवधि के नियमितीकरण के बाद किया जायेगा. अल्पसंख्यक समुदाय के जिन बच्चों का जन्म भारत में हुआ है, वे भी बिना पासपोर्ट के भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन दे सकते हैं. संबंधित जिले के विदेशी पंजीयन कार्यालय (एफआरओ) में उसके भारत प्रवास को नियमित करने के लिए पंजीयन कराना होगा.
भारत में शरणार्थी
जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर एवं जयपुर जैसे शहरों में लगभग 400 पाकिस्तानी हिन्दू शरणार्थी रह रहे हैं. पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में कई सिख शरणार्थी रह रहे हैं. इस प्रकार पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान से आये अल्पसख्यक समुदाय के एक लाख शरणार्थी भारत में रह रहे हैं.
पृष्टभूमि
सरकार का यह निर्णय दीर्घकालीन वीजा एवं वीजा प्रणाली को मज़बूत करने के उद्देश्य से बनाये गए कार्य दाल के गठन के दो महीने बाद आया है.
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