उत्तर भारत में गेहूं उपजाने वाले प्रमुख इलाकों में किए गए शोध के अनुसार तापमान में एक डिग्री की बढ़ोतरी गेहूं की फसल को दस फीसदी तक प्रभावित कर सकती है. यह शोध स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के डेविड बी. लोबेल और एडम सिबली तथा अंतरराष्ट्रीय मक्का व गेहूं उन्नयन केंद्र के जे. इवान ओर्टिज मोनेस्टेरियो ने उत्तर भारत के गेहूं उपजाने वाले इलाकों के विस्तृत अध्ययन के आधार पर किया है.
अंतरराष्ट्रीय पत्रिका नेचर के फरवरी 2012 अंक में प्रकाशित इस शोध के अनुसार कुछ मामलों में सामान्य से दो डिग्री अधिक तापमान गेंहू की पैदावार को 50 प्रतिशत तक प्रभावित करती है. डेविड बी. लोबेल, एडम सिबली और जे. इवान ओर्टिज मोनेस्टेरियो ने अपने शोध में नौ वर्षों के सेटेलाइट आंकड़ों का इस्तेमाल किया. नौ वर्षों के दौरान गेहूं की फसल के पकने की प्रक्रिया में तापमान का सीधा असर देखा गया. बढ़े तापमान से गेहूं के दानों की संख्या और उसके आकार दोनों पर असर देखा गया.
गेहूं के दानों की संख्या और उसके आकार पर दो विभिन्न कारणों से असर देखा गया. शोध के अनुसार गेहूं की फसल खिलने के 30 दिन पहले दो डिग्री तापमान बढ़ने का असर उसके दानों की संख्या पर हुआ जबकि फसल का खिलना शुरू होने के बाद बढ़े हुए तापमान से उसका आकार प्रभावित होता है.
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