चीन का सुपरकंप्यूटर तियान्हे-2 विश्व के सबसे शक्तिशाली सुपरकंप्यूटर के पद पर बरकरार है. यह घोषणा वर्ष में दो बार जारी होने वाली विश्व के टॉप-500 सुपरकंप्यूटरों की सूची में 17 नवम्बर 2015 को जारी की गयी.
चीन की रक्षा तकनीक के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किये गये इस सुपरकंप्यूटर को छ्ठी बार यह स्थान प्राप्त हुआ है.
तियान्हे-2 का अर्थ है आकाशगंगा-2. इसने 33.86 पेटाफ़्लॉप प्रति सेकंड की गति से चलने के कारण पहला स्थान प्राप्त किया.
टॉप-500 सूची के विशेष बिंदु
• इसमें पहले 10 स्थानों पर जुलाई 2015 में जारी की गयी सूची से अधिक बदलाव देखने को नहीं मिले हैं, इसमें केवल दो नए नाम शामिल हुए हैं.
• यह दो नए नाम हैं: ट्रिनिटी सुपरकंप्यूटर जिसे क्रे एवं उर्जा विभाग के लॉस एलामॉस एवं सैन्डिया राष्ट्रीय प्रयोगशाला द्वारा संयुक्त रूप से बनाया गया है. दूसरा नाम है हेज़ल-हेन सिस्टम जिसे क्रे द्वारा बनाया गया है एवं इसे जर्मनी में लगाया गया है.
• पिछली बार की तुलना में इस सूची में चीन के पास सुपरकंप्यूटरों की संख्या लगभग तिगुनी हो गयी है.
• इस वर्ष अमेरिका में अब तक के सबसे कम सुपर कंप्यूटर रिकॉर्ड किये गये हैं, यह सूची वर्ष 1993 से आरंभ की गयी.
• चीन के पास इसका सबसे बड़ा शेयर मौजूद है क्योंकि इसके पास सबसे अधिक उत्पादक मौजूद हैं.
• दूसरे स्थान पर टाइटन नामक अमेरिका में मौजूद सिस्टम है. इसकी क्षमता 17.59 पेटाफ़्लॉप प्रति सेकंड है.
• पहले 10 सुपरकंप्यूटर वर्ष 2011 एवं 2012 में लगाये गये, तियान्हे-2 को 2013 में आरंभ किया गया जबकि ट्रिनिटी, हेज़ल-हेन एवं सऊदी अरब का शाहीन-2 वर्ष 2015 में स्थापित किये गये.
• सुपरकंप्यूटर के क्षेत्र में टर्नओवर का कम होना वर्ष 2008 से आरंभ हो गया था जो अभी और ट्रेंड में दिख रहा है.
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