विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 12 अगस्त 2014 को मरने वालों की संख्या में होती बढ़ोत्तरी के मद्देनजर ईबोला वायरस से लड़ने के लिए प्रयोगात्मक दवा जेडमैप (ZMapp) के इस्तेमाल को मंजूरी दी.
डब्ल्यूएचओ ने यह फैसला अमेरिकी कंपनी मैप बायोफार्मास्युटिकल द्वारा लाइबेरिया में इबोला संक्रमित मरीजों के संपर्क में आकर इस वायरस का शिकार हुए दो डॉक्टरों केंट ब्रांटली औऱ नैंसी राइबो को जेडमैप (ZMapp) दवा दिए जाने के बाद किया है. दवा ने ईबोला प्रभावित लोगों की जान बचाने की दिशा में सकारात्मक प्रभाव दिखाए थे.
सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद डब्ल्यूएचओ के पैनल इस नतीजे पर पहुंचा कि प्रयोगात्मक दवा को देखभाल, चुनने की स्वतंत्रता, व्यक्ति के सम्मान और गरिमा की रक्षा के साथ सभी पहलुओं में पारदर्शिता बरतते हुए इस्तेमाल किया जा सकता है. डॉक्टर इस दवा का इस्तेमाल मरीजों की मर्जी के खिलाफ नहीं कर सकते.
जेडमैप (ZMapp)
ईबोला का वर्तमान प्रकोप इसकी खोज के बाद से अब तक का सबसे खतरनाक प्रकोप है. फिलहाल इस बीमारी का कोई इलाज नहीं. मैप फार्मास्युटिकल ने इस वर्ष अगस्त के पहले सप्ताह में जेडमैप (ZMapp) नाम की दवा लाइबेरिया में इबोला संक्रमित मरीजों के संपर्क में आकर इसका शिकार हुए दो डॉक्टरों केंट ब्रांटली औऱ नैंसी राइबो को दिया था और फिर इसे स्पेन की सरकार को ईबोला से प्रभावित मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध कराया था.
ईबोला संक्रमण का इलाज करने के लिए यह दवा आनुवंशिक रूप से परिवर्तित ईबोला प्रोटीन के तंबाकू के पत्तों में डालकर निष्क्रिय टीकाकरण की नई विधि का प्रयोग करता है. हालांकि, जेडमैप (ZMapp) का परीक्षण अभी तक सिर्फ बंदरों पर ही किया गया है और स्वस्थ्य मानव स्वयंसेवकों पर इसका परीक्षण वर्ष 2015 में किया जाना है. ईबोला के अचानक आए इस प्रकोप ने पूरी प्रक्रिया को तेज कर दिया है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation