29 जनवरी 2015 को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आंध्र प्रदेश के कृष्णा डेल्टा परिसर के निकट मिसाइल प्रक्षेपण के परीक्षण के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से अनुमोदन प्राप्त किया.यह स्थल ओलिव रिडले कछुओं का नीडल स्थल(नेस्टिंग साइट) है.
यह अनुमोदन राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति द्वारा किया गया है,जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की.
इस प्रस्ताव को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी गई है.
ये शर्ते निम्नलिखित हैं
• परीक्षण क्रियाएँ केवल दिन के समय में ही की जानी चाहिए.
• कछुओं के नेस्टिंग सीजन( नीडल काल) के दौरान कोई परीक्षण गतिविधि नहीं की जानी चाहिए.
• मैंग्रोव का पुनर्जनन किया जाना चाहिए.
इसके अलावा डीआरडीओ को भारत के सर्वोच्च न्यायालय से एक अंतिम मंजूरी प्राप्त करने के बाद ही मिसाइल प्रक्षेपण के परीक्षण की सुविधा प्राप्त होगी.
डीआरडीओ की इस परियोजना को वन भूमि के चारों ओर 155 हेक्टेयर क्षेत्र की आवश्यकता है.इस भूमि का प्रयोग परीक्षण स्थल, तकनीकी सुविधा स्थापित करने के लिए किया जाएगा.
परीक्षण स्थल पर विरोध के कारण
डीआरडीओ द्वारा प्रस्तावित इस परीक्षण सुविधा का विरोध आंध्र प्रदेश के वन्यजीव अधिकारियों द्वारा किया जा रहा था जो इस प्रोजेक्ट के पक्ष में नहीं थे.
इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि यह परीक्षण स्थल सदाबहार जंगल के क्षेत्र में आता है.साथ ही यह क्षेत्र भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची में सूचित और प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ के अनुसार संवेदनशील प्रजातियों जैसे ओलिव रिडले का वास क्षेत्र है.
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