डेनमार्क के नागरिक अबो को बायोनिक हाथ फरवरी 2014 में लगाया गया. बायोनिक हाथ लगवाने के साथ ही अबो विश्व के पहले व्यक्ति बन गए. यंत्र के द्वारा इस हाथ की कृत्रिम उंगलियों से संवेदनशीलता को महसूस किया जा सकता है. अबो सेंसर के माध्यम से उसको महसूस करने में सक्षम है, जो भी उसके हाथ में है. यह सेंसर उसके ऊपरी भुजाओं के तंत्रिका से जुड़ा है. यह कार्य इटली के शल्य चिकित्सक द्वारा किया गया.
अबो ने एक दशक पहले एक दुर्घटना में अपना हाथ खो चुका था. इस अनुसंधान परियोजना में विश्व की एक टीम ने काम किया जिसमें जर्मनी, स्विट्जरलैंड और इटली के रोबोटिक विशेषज्ञ शामिल थे.
बायोनिक हाथ
जर्मन वैज्ञानिकों ने नरम मटीरियल से एक बायोनिक हाथ विकसित किया, जिसमें चीजों को उठा सकने की कुशलता है. सिलिकॉन या रबर जैसी मुलायम चीजों से बनी अंगुलियां को कंप्रेस्ड हवा की मदद से फुलाया जाता है. इसकी वजह से उनमें विशेष क्षमता आती है जो उन्हें मोटर, गीयर, ज्वाइंट और कारों से बने परंपरागत इलेक्ट्रो-मैकेनिकल हाथों से अलग करती है.
इस बायोनिक हाथ को बर्लिन के रोबोटिक्स-साइंस एंड सिस्टम्स सम्मेलन में पेश किया गया जहां पीएचडी छात्र रफाएल डाइमेल ने उसके काम करने के तरीके का प्रदर्शन किया.
एयर कंप्रेशन तकनीक के इस्तेमाल का मतलब यह हुआ है कि अंगुलियां कितना मुड़ेंगी यह पकड़ी जाने वाली वस्तु के आकार पर निर्भर करेगा.
विदित हो कि रैंक (पूर्वनाम-रेक्स) जिसका पूरा नाम फ्रेंकेस्टीन है, विश्व का चलने, बोलने, सांस लेने और दिल की धड़कन से युक्त पूर्ण रूप से काम करने वाला पहला बायोनिक मानव है. 6.5 फुट (1.83 मीटर) लंबा और 77 किग्रा. वजनका मानव चेहरे वाला यह रोबोटिक मानव 28 अतिपरिष्कृत शरीर के कृत्रिम अंगों से बना है. यह 200 प्रोसेसर और एक मिलियन से अधिक सेंसर से सन्नद्ध है.
इसे इंग्लैंड स्थित शैडो रोबोट कंपनी के रोबोट विशेषज्ञ रिच वाकर और मैथ्यू गाडेन द्वारा दुनिया भर की विभिन्न प्रयोगशालाओं द्वारा दान में दिए गए शरीर के कृत्रिम अंगों के जरिए बनाया गया है. ज्यूरिख विश्वविद्यालय के सामाजिक मनोवैज्ञानिक डॉ. बर्टोल्ट मेयर ने भी इस बायोनिक मानव के डिजाइन में अपना योगदान दिया था, इसी कारणवश फ्रैंक के चेहरे को डॉ. मेयर की शक्ल प्रदान की गई है. डॉ. मेयर बचपन से ही बायोनिक हाथ का प्रयोग कर रहे थे.
10 लाख डॉलर की लागत से निर्मित यह बायोनिक मानव 60-70 प्रतिशत तक पूरी तरह से एक सामान्य मानव की तरह है. इस बायोनिक मानव को 20 अक्टूबर, 2013 को स्मिथसोनियन चैलन पर प्रदर्शित ‘द इन्क्रेडिबल बायोनिक मैन’ नामक डॉक्यूमेंट्री के जरिए पहली बार आम जनता से रूबरू कराया गया.
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