तीसरा रंगमंच (Third Theatre) के संस्थापक और भारतीय ग्रामीण पारंपरिक रंगमंच के पुरोधा बादल सरकार (Badal Sarkar, Badal Sircar) का पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में 13 मई 2011 को निधन हो गया. बादल सरकार (Badal Sarkar, Badal Sircar) कैंसर से पीड़ित थे.
बादल सरकार (Badal Sarkar, Badal Sircar) अभिनेता थे, नाटककार थे, निर्देशक थे और इन सबके अतिरिक्त रंगमंच के सिद्धांतकार थे. उन्होंने तीसरा रंगमंच का सैद्धांतिक प्रतिपादन किया, और उसे मंच पर भी उतारा.
बादल सरकार (Badal Sarkar, Badal Sircar) के अनुसार शहरी रंगमंच पश्चिम से प्रभावित है और ग्रामीण रंगमंच पारंपरिक शैलियों से. और दोनों में ही अंतर्वस्तु की कमी है. शहरी रंगमंच अपने प्रोसिनियम दायरे में बंधा है और ग्रामीण या पारंपरिक रंगमंच अपनी पुरानी शैलियों में, जिसमें प्रखर राजनीतिक चेतना का अभाव है. बादल सरकार आधुनिक रंगमंच को प्रोसिनिमय दायरे से निकाल कर लोगों के बीच ले गए. गांवों और कस्बों में ले गए. आम लोगों के बीच ले गए. रंगमंच को उन्होंने राजनीतिक चेतना से लैस किया.
बादल सरकार (Badal Sarkar, Badal Sircar) के नाटक जुलूस (बांग्ला में मिछिल) ने अखिल भारतीय स्तर पर 1974-75 के दौर में (जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में शुरू हुए छात्र आंदोलन का दौर) रंगकर्मिंयों और नाट्य प्रेमियों की कल्पनाशीलता को बेहद प्रभावित किया. नुक्कड़ नाटकों को लोकप्रिय बनाने, उसे रंगमंच की समकालीन बहस के बीच लाने में सबसे बड़ा योगदान बादल सरकार का ही है.
बादल सरकार (Badal Sarkar, Badal Sircar) को वर्ष 1968 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, वर्ष 1972 में पद्मश्री, वर्ष 1997 में संगीत नाटक अकादमी-रत्न सदस्य का पुरस्कार मिल चुका है. वर्ष 2010 में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्म-भूषण सम्मान दिया गया जोकि उन्होंने लेने से यह कहकर इंकार कर दिया कि एक लेखक का सबसे बड़ा सम्मान साहित्य अकादमी पुरस्कार वह पहले ही पा चुके हैं.
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