तेजाब से हमले की वारदात को गैरजमानती अपराध बनाने का सर्वोच्च न्यायलय का निर्देश

केन्द्र, राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को तेजाब से हमले की वारदात को गैरजमानती अपराध बनाए जाने का सर्वोच्च न्यायलय का निर्देश.

Jul 19, 2013, 13:15 IST

सर्वोच्च न्यायलय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेन्द्र मल लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने केन्द्र, राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि तेजाब से हमले की वारदात को गैरजमानती अपराध बनाया जाए. साथ ही सरकारों को इस तरह के हमलों के पीड़ितों के इलाज एवं पुर्नवास के लिए तीन लाख रुपए की अनुग्रह राशि दिए जाने का आदेश भी दिया. पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों को इस मसले पर एकजुट होकर काम करने तथा विष अधिनियम, 1919 (पॉयजन एक्ट) के तहत आवश्यक कानून बनाने के लिए निर्देश दिया.

पीठ ने यह निर्देश तेजाब हमले की शिकार दिल्ली निवासी लक्ष्मी की ओर से वर्ष 2006 में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए नई दिल्ली में 18 जुलाई 2013 को दिया.

सर्वोच्च न्यायलय की पीठ ने 17 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों को क्षतिपूर्ति संबंधी योजनाओं के बारे में कहा कि इस समय पीड़ितों को दी जा रही धनराशि पर्याप्त नहीं है. इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि तेजाब से हमलों के पीड़ितों को कई बार प्लास्टिक सर्जरी और अन्य इलाज की जरूरत होती है. पीठ ने कहा कि सॉलिसीटर जनरल मोहन परासरन ने हमें सुझाव दिया है कि राज्यों की ओर से तेजाब से हमले के पीड़ितों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि कम से कम तीन लाख रुपए की जानी चाहिए. इसके आधार पर हम आदेश देते हैं कि संबंधित राज्य पीड़ितों को उनके इलाज और पुनर्वास के खर्च के लिए कम से कम तीन लाख रुपए की अनुग्रह राशि दें. इस राशि में से एक लाख रुपए हमले की जानकारी राज्य सरकार को मिलने के 15 दिनों के भीतर पीड़ित को उपलब्ध कराई जाए. शेष दो लाख रुपए संबंधित राज्य या केंद्र सरकार घटना के दो माह के अन्दर पीड़िता को प्रदान करें.

पीठ ने अपने निर्देश में कहा कि 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले ही तेजाब खरीद सकेंगे और उनके पास सरकार द्वारा जारी वैध पहचानपत्र होना जरूरी है. क्रेता को तेज़ाब खरीदने का उद्देश्य बताना अनिवार्य है. तेजाब विक्रेता को तीन दिन के अन्दर तेजाब की बिक्री से संबंधित ब्यौरा स्थानीय पुलिस को देना होगा. तेज़ाब के अघोषित स्टॉक को जब्त करने और पचास हजार रूपये तक का जुर्माना करने का भी निर्देश दिया.

सर्वोच्च न्यायलय की पीठ ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तेजाब की बिक्री नियंत्रित करने और नियमावली बनाने के लिए तीन माह का समय दिया.

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