केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आंध्रप्रदेश का विभाजन कर तेलंगाना के रूप में 29वें राज्य के गठन संबंधी मसौदा विधेयक को मंजूरी प्रदान की. मंजूरी संबंधी निर्णय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में नई दिल्ली में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 5 दिसंबर 2013 को लिया गया. तेलंगाना राज्य के गठन संबंधी मसौदा विधेयक को मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) ने तैयार किया.
प्रस्तावित तेलंगाना राज्य में हैदराबाद सहित दस जिले होंगे. हैदराबाद 10 वर्ष के लिए दोनों राज्यों (तेलंगाना और सीमांध्र) की संयुक्त राजधानी होगी.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तेलंगाना राज्य बनाने के तौर-तरीकों को तय करने के लिए मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) 3 अक्टूबर 2013 को गठित करने का फैसला किया था. मंत्रिसमूह (जीओएम) को निम्नलिखित कार्य सौंपे गए थे.
(अ) मंत्रिसमूह (जीओएम) का कार्य शेष आंध्रप्रदेश राज्य की राजधानी बनाने और दोनों राज्यों के पिछड़े क्षेत्रों और जिलों की विशेष आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विशेष वित्तीय वितरण के प्रावधान के तौर-तरीकों को तय करना है.
(ब) मंत्रिसमूह (जीओएम) विभिन्न कानूनी और प्रशासनिक कदमों को तय करेगा जिसके माध्यम से तटीय आंध्र, रायलसीमा और तेलंगाना के नागरिकों के मौलिक अधिकारों की गारंटी समेत सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित की जाएगी.
तेलंगाना राज्य का भौगोलिक क्षेत्र
तेलंगाना राज्य का भौगोलिक क्षेत्र अविभाजित आंध्र प्रदेश के 23 जिलों में से 10 जिलों में फैला होगा. तेलंगाना में कुल 10 जिले हैं – अदीलाबाद, खम्मम, ग्रेटर हैदराबाद, मेदक, रंगारेड्डी, नालगोंडा, महबूबनगर, वारंगल, करीमनगर व निजामाबाद. आंध्रप्रदेश राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों और 294 विधानसभा सीटों में से तेलंगाना में 17 लोकसभा सीटों और 119 विधानसभा सीटों के जाने की संभावना है.
तेलंगाना से सम्बंधित मुख्य तथ्य
तेलंगाना का अर्थ है ‘तेलुगू भाषियों की भूमि’. हैदराबाद को भारतीय सेना द्वारा 17 सितंबर 1948 में भारत में शामिल किया गया जबकि हैदराबाद के तत्कालीन निजाम इसे एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाना चाहते थे. मद्रास राज्य के कुछ हिस्सों तथा वर्तमान तेलंगाना के जिलों को शामिल करके तेलुगू भाषियों के लिए आंध्र प्रदेश राज्य का गठन 1956 में किया गया था.
राज्य पुनर्गठन आयोग
राज्यों के गठन हेतु 22 दिसंबर 1953 को न्यायाधीश न्यायमूर्ति फजल अली की अध्यक्षता में पहले राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन हुआ. इस आयोग ने 30 सितंबर 1955 को अपनी रिपोर्ट सौंपी. इस आयोग के तीन सदस्य - न्यायाधीश न्यायमूर्ति फजल अली, हृदयनाथ कुंजरू और केएम पाणिक्कर थे. वर्ष 1955 में इस आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही 1956 में नए राज्यों का निर्माण हुआ और 14 राज्य व 6 केन्द्र शासित राज्य बने.तेलंगाना राज्य के गठन के पूर्व तक भारत में कुल 28 राज्य और 7 केंद्र शासित राज्य हैं. भारत के 28वें राज्य के रूप में 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हुआ.
नए राज्यों की गठन प्रक्रिया
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 में नए राज्य के गठन की शक्तियां संसद को दी गई हैं. इसके गठन की प्रक्रिया के निम्नलिखित चरण होते हैं.
• संबंधित राज्य के विधानसभा में अलग राज्य बनाए जाने संबंधी प्रस्ताव पारित किया जाता है.
• प्रस्ताव पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की सहमति ली जाती है.
• अहम मसलों पर विचार के लिए मंत्रिसमूह का गठन किया जाता है.
• मंत्रिसमूह की सिफारिश पर केंद्र विधेयक का एक मसौदा तैयार करता है जिस पर मंत्रिमंडल की दोबारा स्वीकृति ली जाती है.
• सिफारिशों को राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. राष्ट्रपति इसे संबंधित विधानसभा में उसके सदस्यों की राय जानने के लिए भेजते हैं. राय जानने के लिए राष्ट्रपति द्वारा एक निश्चित समयावधि तय की जाती है.
• बिल के मसौदे को वापस केंद्र के पास आने पर राज्य के विधायकों की राय को शामिल करते हुए गृह मंत्रालय एक नया मंत्रिमंडल नोट तैयार करता है.
• राज्य पुनर्गठन विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल की स्वीकृति के लिए अंतिम रूप से भेजा जाता है. तत्पश्चात इसे संसद में पेश किया जाता है. जहां इसे दोनों सदनों से साधारण बहुमत से पारित किया जाना होता है. राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद नया राज्य गठित हो जाता है.
राज्यों के गठन का संवैधानिक प्रावधान
अनुच्छेद 3. नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन--संसद, विधि द्वारा--
(क) किसी राज्य में से उसका राज्यक्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को या राज्यों के भागों को मिलाकर अथवा किसी राज्यक्षेत्र को किसी राज्य के भाग के साथ मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकेगी;
(ख) किसी राज्य का क्षेत्र बढ़ा सकेगी;
(ग) किसी राज्य का क्षेत्र घटा सकेगी;
(घ) किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन कर सकेगी;
(ङ) किसी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकेगी:
(परंतु इस प्रयोजन के लिए कोई विधेयक राष्ट्रपति की सिफारिश के बिना और जहां विधेयक में अंतर्विष्ट प्रस्थापना का प्रभाव राज्यों में से किसी के क्षेत्र, सीमाओं या नाम पर पड़ता है वहां जब तक उस राज्य के विधान-मंडल द्वारा उस पर अपने विचार, ऐसी अवधि के भीतर जो निर्देश में विनिर्दिष्ट की जाए या ऐसी अतिरिक्त अवधि के भीतर जो राष्ट्रपति द्वारा अनुज्ञात की जाए, प्रकट किए जाने के लिए वह विधेयक राष्ट्रपति द्वारा उसे निर्देशित नहीं कर दिया गया है और इस प्रकार विनिर्दिष्ट या अनुज्ञात अवधि समाप्त नहीं हो गई है, संसद के किसी सदन में पुरःस्थापित नहीं किया जाएगा.)
विदित हो कि तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने 9 दिसम्बर 2009 को तेलंगाना के गठन के संबंध में घोषणा की थी. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) तथा काग्रेस कार्यसमिति ने तेलंगाना राज्य के गठन को 30 जुलाई 2013 को मंजूरी प्रदान की. तेलंगाना राज्य के गठन की मांग गत 57 वर्षों से भी अधिक समय से होती रही है.
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