भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 30 अक्टूबर 2014 को कहा कि दिल्ली में किसी राजनीतिक दल के बाहरी समर्थन से अल्पमत की सरकार का गठन किया जा सकता है. इसके अलावा, सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि उपराज्यपाल नजीब जंग सभी राजनीतिक दलों से दिल्ली में सरकार बनाने के लिए बातचीत करें. सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला आम आदमी पार्टी की उस याचिका पर सुनवाई के बाद लिया जिसमें दिल्ली में विधानसभा भंग करने और 11 नवंबर 2014 फिर से चुनाव कराने की मांग की गई थी.
पांच–जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला लिया. इस पीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू कर रहे थे और इसमें जस्टिस जे चेलामलेश्वर, जस्टिस ए के सिकरी, जस्टिस आर के अग्रवाल और जस्टिस अरुण मिश्रा थे.
उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली में लोकप्रिय सरकार की स्थापना हेतु संभावनाओं को तलाने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी के मद्देनजर बीजेपी, कांग्रेस और आप को बुलाया था.
उपराज्यपाल ने राजनीतिक दलों के साथ विचार– विमर्श की शुरुआत का यह कदम सर्वोच्च न्यायालय की पांच– जजों की पीठ द्वारा केंद्र सरकार और लेफ. जन. को दिल्ली में सरकार के गठन में होने वाली देऱी के पर लगाई फटकार के बाद किया. दिल्ली विधानसभा फरवरी 2014 में अरविन्द केजरीवाल नीत आप सरकार के सत्ता से हटने के बाद से निलंबित है और राष्ट्रपति शासन के अधीन है.
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