भारत सरकार ने उर्वरक कंपनियों को 100 प्रतिशत नीम लेपित यूरिया का उत्पादन करने की अनुमति 7 जनवरी 2015 को प्रदान की. इससे पहले उर्वरक संयंत्र की कुल क्षमता के 35 प्रतिशत तक नीम लेप वाले यूरिया का उत्पादन करने की अनुमति थी.
इसके आलावा भारत सरकार ने नाफ्था आधारित मंगलोर फर्टिलाइजर्स, मद्रास फर्टिलाइजर्स और एसपीआईसी तूतीकोरिन संयंत्रों के लिए अगले 100 दिनों तक नाफ्था पर सब्सिडी देने का भी फैसला किया. इसके साथ ही इन तीनों उर्वरक संयंत्रों में उत्पादन फिर से शुरू हो जाएगा. रसायन और उर्वरक मंत्री अनंत कुमार के अनुसार इससे देश अगले पांच साल में यूरिया उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा.
भारत सरकार द्वारा लिया गया प्रमुख निर्णय
• किसान अत्यधिक मात्रा में यूरिया का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि सरकार इसपर काफी सब्सिडी देती है.
• यूरिया की खुदरा कीमत 5360 रुपए प्रति टन निर्धारित की गई है.
• इस यूरिया के इस्तेमाल से प्रमुख फसलों की पैदावार में 20 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी.
• इस उत्पाद के इस्तेमाल से किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी.
• देश में 2.2 करोड़ टन यूरिया का उत्पादन
• देश में कुल 90 लाख टन यूरिया का आयात होता है.
उद्देश्य
इसका उद्देश्य किसानों को आय बढ़ाने में मदद करना और सब्सिडी खर्च में 6500 करोड़ रुपए की कमी लाना है.
लाभ
नीम लेप वाले यूरिया के कारण किसानों की आय बढ़ेगी क्योंकि यूरिया के कम इस्तेमाल से उत्पादकता बढ़ेगी. नीम लेपित वाले यूरिया के प्रयोग से 15 से 20 प्रतिशत की अधिक ऊपज होती है और 15 से 20 प्रतिशत यूरिया का कम इस्तेमाल भी होता है. इससे सरकार के सब्सिडी पर होने वाले खर्च में भी सालाना 6500 करोड़ रुपए की कमी आएगी.
इसके अलावा ‘जब किसान नीम लेपित यूरिया का इस्तेमाल करते हैं तो नाइट्रोजन धीरे-धीरे निकलने से मृदा की उर्वरा को मदद मिलती है.
विदित हो कि भारत 2.2 करोड़ टन यूरिया का उत्पादन करता है. यूरिया की कमी को पूरा करने के लिए करीब 80 से 90 लाख टन का आयात किया जाता है. स्वदेशी यूरिया का करीब 20 से 25 प्रतिशत ही नीम परत वाला होता है.
विश्लेषण
नीम लेपित वाले यूरिया के अधिक इस्तेमाल से यूरिया का औद्योगिक इस्तेमाल में जाने पर भी अंकुश लगेगा. प्रतिबंध हटने से उर्वरक उद्योग अधिक मात्रा में नीम परत वाले यूरिया का उत्पादन करेगा. नीम लेपित यूरिया से उर्वरकों का संतुलित इस्तेमाल संभव होगा.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation