माओवादी पार्टी के उपाध्यक्ष डा बाबूराम भट्टराई 28 अगस्त 2011 को नेपाल के 35वें प्रधानमंत्री निर्वाचित किए गए. चुनाव में उन्होंने नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार आरसी पौडयाल को पराजित किया. कुल पड़े 574 मतों में से 340 मत 57 वर्षीय डा बाबूराम भट्टराई के पक्ष में पड़े, जबकि नेपाली कांग्रेस के संसदीय दल के नेता आरसी पौडयाल को सिर्फ 235 मत प्राप्त हुए. संविधान सभा में चौथी सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक मधेसी फ्रंट (यूडीएमएफ), और छोटी पार्टियों के गठबंधन ने डा बाबूराम भट्टराई का समर्थन किया, जबकि आरसी पौडयाल को सीपीएन-यूएमएल का समर्थन प्राप्त हुआ.
डा बाबूराम भट्टराई ने वर्ष 2008 में हुए संविधान सभा के चुनाव में गोरखा के निर्वाचन क्षेत्र संख्या 2 से माओवादी पार्टी से निर्वाचित हुए थे. माओवादी पार्टी के अध्यक्ष पुष्पकमल दहल प्रचंड के नेतृत्व में वर्ष 2008 में बनी सरकार में डा बाबूराम भट्टराई उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री थे. वह माओवादी पार्टी के उदारवादी नेता हैं. 601 सदस्यीय संविधान सभा में किसी भी पार्टी का बहुमत नहीं है. यूसीपीएन-माओवादी 236 सीटों के साथ संविधान सभा में सबसे बड़ी पार्टी है. 114 सदस्यों के साथ नेपाली कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी, जबकि सीपीएन-यूएमएल के 107 सदस्य हैं. नेपाल के राष्ट्रपति राम बरन यादव ने डा बाबूराम भट्टराई को नेपाल के प्रधानमंत्री के पद की शपथ दिलाई.
विदित हो कि प्रधानमंत्री झालानाथ खनल ने 14 अगस्त 2011 को शांति प्रक्रिया में ठोस प्रगति कर पाने में विफल रहने पर इस्तीफा दे दिया था. झालानाथ खनल 3 फरवरी 2011 को संसद में 17 दौर के चुनाव के बाद प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए थे.
संसद को राष्ट्रपति रामबरन यादव ने निर्देश दिया था कि वह बहुमत के आधार पर प्रधानमंत्री को निर्वाचित करे. यह निर्देश तब दिया गया जब पार्टियां राष्ट्रीय सरकार का नेतृत्व करने के लिए आम सहमति से उम्मीदवार नामित करने में विफल रहीं.
वह भारत के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन शुरू करने की जगह शांति प्रक्रिया से मसलों का हल ढूढ़ने के पक्षधर रहे हैं. प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें पार्टी के दिग्गज नेताओं को अपने साथ रखने और भारत और चीन के बीच एक बेहतर संतुलन कायम करना होगा.
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