दो शीर्ष अमेरिकी वैज्ञानिक एजेंसियों नोआ और नासा ने अपनी अलग-अलग विज्ञप्तियों में धरती पर ग्लोबल वार्मिंग जारी रहने की प्रवृत्ति की पुष्टि की. विज्ञप्तियां 22 जनवरी 2014 को जारी की गईं.
नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (नोआ) की वार्षिक जलवायु-रिपोर्ट दर्शाती है कि 2013 में इस ग्रह के अधिकतर हिस्सों में औसत से ऊपर का तापमान अनुभव किया गया.
विज्ञप्ति के अनुसार वर्ष 1880 (जब से इस तरह का रिकॉर्ड रखना शुरू किया गया) से वर्ष 2013 चौथा सबसे गर्म वर्ष था. वर्ष 2013 का तापमान विश्व द्वारा 2003 में अनुभव किए गए तापमान के बराबर रहा.
संयुक्त वैश्विक भूमि और महासागरीय तल की रिपोर्ट के अनुसार तापमान 20वीं सदी के तापमान से 0.62 डिग्री सेल्सियस (1.12 डिग्री फारेनहाइट) ऊपर दर्ज किया गया, जो औसतन 13.9 डिग्री सेल्सियस (57 डिग्री फारेनहाइट) है.
नासा के वैज्ञानिकों के एक अन्य विश्लेषण के अनुसार वर्ष 2013 का वैश्विक तापमान वर्ष 2006 और 2009 में दर्ज किए गए तापमान के बराबर रहा. यह (वर्ष 2013) सातवाँ सबसे गर्म वर्ष रहा.
दोनों एजेंसियों द्वारा वैश्विक तापमान का पता लगाने के लिए इस्तेमाल की गई प्रक्रिया थोड़ी भिन्न है, पर वे गणना की प्रवृत्ति पर सहमत हैं.
पिछले 134 वर्षों (वर्ष 1880 से) के डाटा के अनुसार ग्रीनहाउस गैसों के बनने के कारण होने वाली ग्लोबल वार्मिंग को तापमान में वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया गया. जलवायु-वैज्ञानिकों द्वारा इसे ग्रह के वातावरण में उन्मोचित कार्बन डाइऑक्साइड के स्वरूप के आधार पर जिम्मेदार ठहराया गया है, जो परिवहन-वाहनों, उद्योगों और बिजली के कारण होने वाले उत्सर्जनों से निकलती है. नासा के अनुसार 8 लाख वर्ष लंबे वातावरण में CO2 अपने उच्चतम स्तर पर है. उसने गैस में 1880 के 285 अंश प्रति दस लाख की तुलना में 2013 में 400 अंश प्रति दस लाख की बढ़ोतरी दर्ज की है.
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