महाराष्ट्र सरकार द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति सीएस धर्माधिकारी समिति ने 1 सितम्बर 2014 को डांस बार पर पूर्ण प्रतिबंध के लिए सिफारिश की. समिति ने होटल और रेस्तरां में डांस बार पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करने के लिए कहा, जिससे महिलाओं पर हमलों को रोकने और अपराध दर कम करने में मदद मिले.
डांस बार पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश के अलावा धर्माधिकारी समिति ने सोशल मीडिया और जाट पंचायत (जाति परिषद) पर अपने विचार व्यक्त किये हैं और महिलाओं पर उनके प्रभाव की चर्चा की है.
धर्माधिकारी समिति की मुख्य सिफारिशें
•राज्य सरकार से फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया की सोशल नेटवर्किंग साइटों पर अश्लीलता की जांच करने के लिए एक नीति बनाने को कहा गया है. समिति के अनुसार, सोशल मीडिया साईट महिलाओं को परेशान करने के लिए जिम्मेदार हैं और युवाओं के बीच हिंसक प्रवृत्तियों को विकसित करती हैं जिससे महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में वृद्धि हुई है. इसके अलावा समिति ने कहा कि यह साईट तलाक के मामलों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं.
•यह सलाह दी है शादी के रजिस्ट्रेशन के समय दुल्हन शपथ पर खुलासा करे अगर दहेज की मांग की गयी है.
•समिति ने यह भी कहा है कि दुल्हन को घोषित करना चाहिए कि उसको प्राप्त सभी उपहार और नकदी परिवार द्वारा उसके नाम से रखा गया. इन उपायों से दहेज विरोधी कानून को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी.
•समिति ने राज्य सरकार से एक नीति बनाने को कहा है जो अंतरजातीय विवाह के लिए जोड़ों को रोकने और दंडित करने वाली जाट पंचायत (जाति परिषद) से निपटेगी.
•समिति ने राज्य सरकार से अविवाहित नाबालिग आदिवासी लड़कियों और सेक्स वर्करों के बच्चों की देखभाल करने के लिए कहा है, जो शिक्षा से वंचित हैं और अपने पिता के नाम का खुलासा न कर पाने की वजह से स्कूल नहीं जा पाते हैं. इस प्रकार उन्हें स्कूलों से दूर रखा जाता है जबकि शिक्षा का अधिकार उनका संवैधानिक अधिकार है.
•समिति ने बंबई उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गयी अपनी चौथी और पांचवीं अंतरिम रिपोर्ट में सुझाव की सिफारिश की. पैनल ने अपनी चौथी अंतरिम रिपोर्ट में 22 सिफारिशें और अपनी पांचवीं रिपोर्ट में छह सुझाव दिए.
पृष्ठभूमि
वर्ष 2005 में महाराष्ट्र सरकार ने बार में नृत्य प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन तीन सितारा और उच्चस्तरीय होटल को छूट दी गई थी. इसे वर्ष 2012 में भेदभाव के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी.
सर्वोच्च न्यायालय ने प्रतिबंध को भेदभाव करार दिया. इस मुद्दे पर कानूनी विवाद समाप्त करने के लिए 13 जून 2014 को महाराष्ट्र विधानसभा ने उच्चस्तरीय होटलों में और अन्य सार्वजनिक परिसरों में नृत्य प्रदर्शन पर प्रतिबंध को बढ़ने के लिए एक विधेयक पारित किया.
न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी समिति
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) चंद्रशेखर धर्माधिकारी समिति को महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों पर अंकुश लगाने के उपाय सुझाने के लिए वर्ष 2010 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित किया गया था. समिति में वरिष्ठ महिला राजनीतिक नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और नौकरशाह शामिल हैं.
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