सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा में होने वाले पंचायत चुनाव के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी किये गए नए नियमों पर 9 दिसंबर 2015 को अपनी सहमति व्यक्त की एवं वर्तमान खट्टर सरकार के नए नियम पर लगाए गए हरियाणा हाईकोर्ट के स्टे (रोक) को खत्म कर दिया. इस नियम के तहत अब हरियाणा में केवल पढ़े-लिखे उम्मीवदवार ही पंचायत चुनाव में खड़े हो सकेंगे.
हरियाणा की वर्तमान मनोहर खट्टर सरकार ने राजनीति का स्तअर सुधारने के लिए नया कदम उठाते हुए 11 अगस्तन 2015 को मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा पंचायती राज अधिनियम 1994 में संशोधन करके नए नियम बनाए गए थे, जिन पर हरियाण हाईकोर्ट ने स्टेा लगा दिया था. इसके बाद सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील थी.
विदित हो कि हरियाणा सरकार ने अधिनियम में संशोधन करके पंचायती राज संस्थाओं के सभी स्तरों के निर्वाचित प्रतिनिधियों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता मैट्रिक व महिलाओं तथा अनुसूचित जाति के लिए 8वीं पास तय कर दी थी. अधिनियम में जो संशोधन किए गए थे उनके उनुसार पंचायती राज संस्थांओं में सभी स्त.र के निर्वाचित प्रतिनिधियों की न्यू नतम शैक्षणिक योग्यचता 10 पास होना जरूरी है वहीं महिलाओं और अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों का 8वीं पास होना आवश्य क है. इसके अलावा जिन लोगों पर अपराधिक मामले दर्ज हैं और उन्हेंि अन मामलों में 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है वो भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. साथ ही जिन लोगों ने सहकारी बैंकों से लिया गया कर्ज नहीं चुकाया है वो भी अयोग्य करार दिए गए हैं.
उपरोक्त के अलावा अधिनियम में दो और संशोधन किए गए. जिनके अनुसार उम्मी दवार घरेलू बिजली कनेक्शकन की बकाया राशी चुकाने के बाद ही चुनाव लड़ पाएंगे साथ ही चुनाव में खड़ा होने के लिए उनके घर चालू शोचालय होना जरूरी है.
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