आजाद हिंद फौज की महिला ब्रिगेड रानी लक्ष्मी रेजिमेन्ट की पहली महिला कैप्टन डॉ लक्ष्मी सहगल का 23 जुलाई 2012 को कानपुर में निधन हो गया. वह 97 वर्ष की थीं. डॉ लक्ष्मी सहगल को भारत सरकार ने वर्ष 1998 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया था. डॉ लक्ष्मी सहगल ने वर्ष 2002 में राष्ट्रपति पद के लिए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के विरुद्ध चुनाव भी लड़ा था. उन्होंने वर्ष 1971 में माकपा की सदस्यता ग्रहण की और राज्यसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व किया.
वर्ष 1940 में डॉ लक्ष्मी सहगल सिंगापुर गईं. उन्होंने वहां भारतीय गरीब मजदूरों के इलाज के लिए क्लिनिक खोला. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जब दो जुलाई 1943 को सिंगापुर आये और आजाद हिंद फौज के महिला रेजीमेंट की स्थापना की बात की तो लक्ष्मी स्वामीनाथन ने खुद को आगे किया और रानी लक्ष्मी रेजिमेन्ट की कैप्टन बनीं.
डॉ लक्ष्मी सहगल का जन्म 24 अक्तूबर 1914 में मद्रास में हुआ था. उन्होंने वर्ष 1938 में मद्रास मेडिकल कालेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की थी. वर्ष 1947 में डॉ लक्ष्मी सहगल की शादी प्रेम कुमार सहगल से लाहौर में हुई. उनकी बेटी सुभाषिनी अली वर्ष 1989 में कानपुर से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सांसद रहीं.
आजाद हिंद फौज
आजाद हिंद फौज या इंडियन नेशनल आर्मी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1942 में दक्षिण पूर्व एशिया में भारतीयों द्वारा गठित एक सशस्त्र बल था. इसका उद्देश्य जापानी सेना की सहायता से भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना था. वर्ष 1942 के दिसम्बर में आजाद हिंद फौज लगभग समाप्त हो गई और वर्ष 1943 में सुभाष चन्द्र बोस ने इसका पुनर्गठन किया.
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