पद्मश्री से सम्मानित एवं राजस्थानी साहित्यकार लक्ष्मी कुमारी चूंडावत का जयपुर में 24 मई 2014 को निधन हो गया. वह 98 वर्ष की थीं.
लक्ष्मी कुमारी चूंडावत से संबंधित मुख्य तथ्य
• मार्च 2012 में राजस्थान सरकार ने उन्हें ‘राजस्थान रत्न ‘से सम्मानित किया.
• लक्ष्मी कुमारी चूंडावत को गुर्जर समाज के आराध्य देवनारायण बगड़ावत की महागाथा के लिए वर्ष 1984 में पदमश्री से सम्मानित किया.
• फ्रांसेस टैफ्ट (विदेशी महिला) ने ‘फ्रॉम पर्दा टू द पीपल’ नाम से उनकी जीवनी लिखी.
• लक्ष्मी कुमारी चूंडावत ने जीवन पर्यंत प्रगतिशील विचारधारा से जुड़ी रही.
• वर्ष 1962 में उन्हें जनसंघ में शामिल होने का प्रस्ताव दिया गया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया.
• लक्ष्मी कुमारी चूंडावत ने लेनिन की जीवनी का राजस्थानी में ‘लेनिन री जीवनी’ नाम से अनुवाद किया.
• लक्ष्मी कुमारी चूंडावत ने वर्ष 1958 में जापान के हिरोशिमा में हुए विश्व शांति सम्मेलन में भाग लिया.
• उन्होंने अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी में राजस्थान के वस्त्राभूषणों पर व्याख्यान दिया.
• एफ्रो-एशियन राइटर्स कांफ्रेंस ताशकंद और वर्ष 1978 में न्यूयार्क में हुए राष्ट्रसंघ के नि:शस्त्रीकरण सम्मेलन में उन्होंने देश का प्रतिनिधित्व किया.
• राजस्थानी भाषा को संविधानिक दर्जा दिलाने के लिए आवाज उठाने वाली वह राज्य की पहली राजनेता थीं.
• लक्ष्मी कुमारी चूंडावत तीन बार (1962-67, 1967-71, 1980-85) कांग्रेस पार्टी से भीम विधान सभा क्षेत्र से विधायक और व एक बार (1972-78) राज्यसभा सांसद निर्वाचित हुईं.
• लक्ष्मी कुमारी चूंडावत ने वर्ष 1985 के बाद राजनीति से संन्यास ले लिया.
• वह वामपंथी विचारधारा वाले प्रगतिशील लेखक संघ की अध्यक्ष भी रहीं.
प्रमुख रचनाएं
लक्ष्मी कुमारी चूंडावत ने 37 किताबें लिखी. उनकी प्रमुख रचनाएं- हुंकारो दो सा, मूमल, हिंदुकश के उस पार, कै रे चकवा बात, अमोलक बातां, सूली रा सूया माथै, गजबण और रजवाड़ों के रीति-रिवाज हैं.
पारिवारिक जीवन
लक्ष्मी कुमारी चूंडावत का जन्म मेवाड़ (उदयपुर) के देवगढ़ ठिकाने के झाला कुल में 24 जून 1916 को हुआ था. वर्ष 1934 में 18 वर्ष की उम्र में बीकानेर के रावतसर ठिकाने के रावत तेजसिंह से विवाह हुआ. तीन पुत्रियां और दो पुत्र हैं जिनमें बड़ी पुत्री सुभद्राकुमारी का विवाह पाकिस्तान के अमरकोट के पूर्व सांसद और मंत्री राणा चंद्रसिंह के साथ हुआ है. बड़े पुत्र घनश्याम सिंह रावत विंग कमांडर और छोटे पुत्र बलभद्रसिंह पुलिस महानिदेशक व अमेरिका में भारतीय दूतावास के पहले सचिव रहे हैं.
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