परमाणु विज्ञानी एवं परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ पीके आयंगर का मुंबई में अणुशक्तिनगर के वार्क अस्पताल में 21 दिसंबर 2011 को निधन हो गया. वह 80 वर्ष के थे.परमाणु भौतिकशास्त्री डॉ पीके आयंगर को वर्ष 1975 में पद्मभूषण सम्मान और वर्ष 1971 में शांति स्वरूप भटनागर सम्मान दिया गया था.
पोकरण में 18 मई 1974 को देश के पहले परमाणु परीक्षण में डॉ पीके आयंगर ने अहम भूमिका निभाई थी. राजा रमन्ना के नेतृत्व में ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्ध नाम से हुए इस परीक्षण की टीम में अयंगर दूसरे नंबर पर थे. डॉ पीके आयंगर 1952 में परमाणु ऊर्जा विभाग में शामिल हुए. वह 1984 में भाभा परमाणु ऊर्जा संयंत्र (बार्क) के निदेशक बने. डॉ पीके आयंगर वर्ष 1990 से 1993 के दौरान परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव पद पर रहे. उन्होंने भौतिकी के नोबेल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक डॉ बीएन ब्रोकहाउस से प्रशिक्षण प्राप्त किया था.
न्यूट्रान भौतिकी में अनुसंधान का अगुवा डॉ पीके आयंगर ने स्वदेशी तकनीक से पूर्णिमा-I रिएक्टर विकसित किया था जो 1972 में चालू हुआ. उनके बेटे डॉ.श्रीनिवास अंयगर भी वैज्ञानिक हैं.
डॉ पीके आयंगर केरल यूनिवर्सिटी से भौतिक विज्ञान में एमएससी करने के बाद टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से 1952 में अपना कैरियर शुरू किया. बाद में उन्होंने न्यूट्रान डिफ्रैक्टोमीटर्स और न्यूट्रॉन स्कैटरिंग स्पेक्ट्रोमीटर्स जैसी प्रयोगशालाएं भी बनाईं. डॉ पीके आयंगर ने भारत-अमेरिका परमाणु संधि की यह कह कर आलोचना की थी कि इसे अमेरिका के हितों के लिए बनाया गया है.
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