पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मुहम्मद नवाज़ शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण के दौरान 30 सितंबर 2015 को भारत के साथ शांति स्थापित करने हेतु 4 सूत्रीय शांति प्रस्ताव प्रस्तुत किया. इसका उद्देश्य एशियाई देशों के संबंधों को टकराव की बजाय सहयोग की भूमिका में परिभाषित करना है.
चार सूत्रीय शांति पहल
1. पाकिस्तान एवं भारत को वर्ष 2003 में कश्मीर में लाइन ऑफ़ कंट्रोल पर लागू किये गये संघर्ष विराम को पूर्णतः मानना चाहिए. भारत और पाकिस्तान में संघर्ष विराम के पालन की निगरानी हेतु संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह को बुलाया जायेगा.
2. पाकिस्तान एवं भारत यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी स्थिति में वे सैन्य बल के प्रयोग की धमकी अथवा सेना का वास्तविक प्रयोग नहीं करेंगे. यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर का एक केंद्रीय तत्व है.
3. कश्मीर को सेना मुक्त बनाने हेतु सकारात्मक कदम उठाए जायेंगे.
4. दोनों देशों द्वारा सियाचिन ग्लेशियर से बिना शर्त सैन्य वापसी के लिए सहमति बनाई जाएगी. सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है.
आतंकवाद के वैश्विक खतरे से निपटना
नवाज़ शरीफ ने पाकिस्तान में हुए आतंकवादी हमलों का जिक्र भी किया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद के वैश्विक खतरे से निपटने के लिए इसके मूल कारणों, गरीबी और अज्ञानता का हल निकाला जाना चाहिए.
घोषणा के अनुसार, उग्रपंथी विचारधारा का विरोध किया जाना चाहिए. साथ ही यह भी कहा गया कि विश्व भर में मुस्लिमों को आतंकवाद के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है तथा उनसे बुरा व्यवहार किया जाता है, जिस पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है.
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