कोयला, विद्युत्, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री पीयूष गोयल (स्वतंत्र प्रभार) ने 29 सितंबर 2015 को ‘स्वच्छ कुकिंग एनर्जी एवं विद्युत् उपलब्धता – राज्य सर्वेक्षण रिपोर्ट’ जारी की.
यह सर्वेक्षण, ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) तथा कोलंबिया यूनिवर्सिटी एवं शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन के सहयोग द्वारा आयोजित कराया गया था.
रिपोर्ट में पहली बार भारत में ऊर्जा की उपलब्धता पर एक बहु-आयामी मूल्यांकन जारी किया गया है.
रिपोर्ट की विशेषताएं
इसमें बताया गया है कि भारत में 300 मिलियन लोग प्रकाश व्यवस्था के लिए केरोसिन पर निर्भर हैं जबकि 800 मिलियन से अधिक लोग पारंपरिक बायोमास का उपयोग करते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार ऊर्जा के आधुनिक रूपों का उपयोग अभी भी हमारे विकास में एक महत्वपूर्ण बाधा है.
इसमें यह सुझाव दिया गया कि विद्युतीकरण एवं एलपीजी कनेक्शन के आंकड़ों से अधिक उससे आगे की प्रक्रिया पर ध्यान दिया जाना चाहिए. साथ ही भारत में सभी के लिए उर्जा की उपलब्धता के प्रति भी संवेदनशील होना चाहिए.
इस अध्ययन में शामिल कुछ प्रश्न
क्या उर्जा केवल बाइनरी उपयोग है ?
ऊर्जा का उपयोग मापने के लिए सही मेट्रिक्स क्या हैं ?
क्या मौजूदा उर्जा उपलब्धता कार्यक्रम प्रभावी हैं ?
ग्रामीण जनसंख्या द्वारा उर्जा उपलब्धता हेतु किन नीतियों को महत्व दिया जाता है ?
यह रिपोर्ट भारत के सबसे बड़े उर्जा सर्वेक्षण का परिणाम है, इसमें उर्जा की दृष्टि से निम्नतम स्थिति पर मौजूद छह राज्यों के 51 जिलों में 8500 परिवारों को शामिल किया गया. इसमें शामिल राज्य हैं, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल.
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