एंट्रिक्स-देवास समझौते की जांच करने वाली प्रत्युष सिन्हा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट अंतरिक्ष विभाग को सौंपी. अंतरिक्ष विभाग ने 4 फरवरी 2012 को इस रिपोर्ट को सार्वजानिक किया. अंतरिक्ष विभाग ने प्रत्युष सिन्हा समिति के साथ बीके चतुर्वेदी और प्रो रोडम नरसिम्हा की उच्चाधिकार प्राप्त समीक्षा समिति की रिपोर्ट को भी सार्वजनिक किया.
पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त प्रत्यूष सिन्हा की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर और तीन अन्य वैज्ञानिकों ए भास्करनारायण, केआर श्रीधरमूर्ति और केएन शंकर को सौदे में गड़बड़ी के लिए दोषी पाया है और उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है. समिति ने निजी कंपनी देवास के कामकाज और परिचालन की जांच कंपनी की स्थापना के समय से ही किए जाने की सिफारिश की है. रिपोर्ट में ए भास्करनारायण पर अमेरिकी दौरे में निजी कंपनी की मेहमानवाजी का लुत्फ उठाने का भी आरोप लगाया गया है.
बीके चतुर्वेदी और प्रो रोडम नरसिम्हा की उच्चाधिकार प्राप्त समीक्षा समिति ने एंट्रिक्स-देवास करार के विभिन्न पहलुओं पर गौर किया जबकि प्रत्युष सिन्हा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति ने सौदे की बारीकियों और उसमें अधिकारियों की भूमिका की जांच की है. दोनों रिपोर्ट के आधार पर जी माधवन नायर और तीन अन्य वैज्ञानिकों पर कोई भी सरकारी पद लेने से रोक लगा दी गई है. हालांकि समीक्षा समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि देवास के साथ समझौता स्पेक्ट्रम को कम कीमत पर बेचना नहीं दर्शाता है.
ज्ञातव्य हो कि अंतरिक्ष विभाग प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अंतर्गत है. एंट्रिक्स-देवास समझौता मामला सामने आने पर स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दो उच्चस्तरीय समितियां गठित की थीं.
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