प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वी भारत के लिए ऊर्जा राजमार्ग की 25 अगस्त 2014 को घोषणा की. यह परियोजना पूर्वी भारत को राष्ट्रीय गैस ग्रिड से जोड़ेगी.
परियोजना का कार्यान्वयन गेल करेगा. गेल ने पाइपलाइन मार्ग के लिए विस्तृत सर्वेक्षण से संबंधित गतिविधियां भी शुरु कर दी हैं. 2050 किलोमीटर वाला यह ऊर्जा राजमार्ग जगदिशपुर– फूलपुर– हल्दिया प्राकृतिक गैस पाइपलाइन का है. यह पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश को कुशल और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन मुहैया कराएगा.
जगदिशपुर– फूलपुर– हल्दिया पाइपलाइन में 922 किलोमीटर (36 इंच व्यास) की मुख्य लाइन और 1128 किलोमीटर की स्पर लाइनें और फीडर लाइन (12 से 30 इंच व्यास वाली) होगी. कंप्रेसर स्टेशन हल्दिया में होगा.
अनुमान के मुताबिक इस परियोजना में 46 नदी क्रासिंग, 17 रेल क्रासिंग, 14 राज्य राजमार्ग क्रासिंग और 12 राष्ट्रीय राजमार्ग क्रासिंग होंगे, इस वजह से यह अपनी तरह का सबसे कठिन इंजीनियरिंग परियोजनाओं में से एक होगा.
लाभार्थी
यह पाइपलाइन चार राज्यों के करोड़ों लोगों को फायदा पहुंचाएगी. यह चार राज्यों के 17 प्रमुख शहरों में सिटी गैस नेटवर्क की स्थापना करेगा–
पश्चिम बंगाल: पूरब मिदनापुर, बांकुरा, पुरुलिया, हुगली और बर्धमान
झारखंडः बोकारो, गिरिडिह, हजारीबाग, धनबाद और पूर्वी सिंहभूम
उत्तर प्रदेशः वाराणसी, इलाहाबाद, जौनपुर और गोरखपुर
बिहारः गया, औरंगाबाद, रोहतास, कैमूर, पटना, छपरा, सिवान, मुफ्फरपुर, बेतिया, गोपालगंज, बेगुसराय, भागलपुर, सारण और पश्चिम चंपारण.
इसलिए, इन प्रमुख शहरों में रहने वाले लोगों के पास सीधे घरों में पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) और वाहनों के लिए किफायती कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) मिलेगी. शहर में गैस वितरण के अलावा, पाइपलाइन इलाके के उर्वरक और बिजली संयंत्रों एवं अन्य प्रमुख उद्योगों के लिए फीडस्टॉक/ ईंधन की आपूर्ति भी करेगा.
इस परियोजना से गोरखपुर, बरौनी, सिंदरी और दुर्गापुर के उर्वरक संयंत्रों को फायदा होगा.
इसके अलावा, यह पाइपलाइन इलाके के बरौनी और हल्दिया की रिफाइनरियों, स्टील उद्योगों, बिजली संयंत्रों औऱ अन्य बड़े एसएमई विनिर्माण इकाईयों को प्राकृतिक गैस की आपूर्ती करेगा.
पाइपलाइन इलाके में कृषि एवं आर्थिक विकास को तेज करने और रोजगार के सृजन में मदद करेगा.
अनुमानित लागत
जगदिशपुर– फूलपुर– हल्दिया पाइपलाइन परियोजना की अनुमानित लागत 10000 करोड़ रुपये की है. पाइपलाइन के पहले चरण की क्षमता 16 एमएमएससीएमडी की होगी जिसे दूसरे चरण में बढ़ाकर 32 एमएमएससीएमडी किया जाएगा.
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