लगातार बढ़ती ब्याज दरों से आवास ऋण ग्राहकों को मासिक किस्त (EMI: Equated Monthly Installment) के रूप में वार्षिक 6000 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान करना होगा. प्रमुख रिसर्च और रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने यह अनुमान 12 अगस्त 2011 को जारी किया.
प्रमुख रिसर्च और रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार अप्रैल 2010 से नीतिगत दरों में लगातार वृद्धि से आवास ऋण के फ्लोटिंग दरों वाले ग्राहकों के लिए ब्याज दरों में ढाई फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है. इस कारण उनकी ईएमआइ में औसतन 15 फीसदी की वृद्धि हुई, जिससे बैंकों को वार्षिक लगभग 3500 करोड़ रुपये ज्यादा मिलेंगे.
इसके साथ ही विभिन्न बैंकों ने लुभावनी दरों पर जो कर्ज (टीजर लोन) दिए हैं उनमें से ज्यादातर की अवधि 31 मार्च 2012 को समाप्त हो रही है. इसके बाद बाजार दर पर ही उन ग्राहकों को भी आवास ऋण का ब्याज चुकाना होगा. इससे वित्तीय संस्थानों को करीब 2500 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलेंगे.
ज्ञातव्य हो कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा फरवरी 2010 से सितंबर 2011 तक 12 बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की गई है.
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