बिहार के वित्तमंत्री और उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने वित्तवर्ष 2012-13 के लिए 78686.82 करोड़ रुपए का वार्षिक बजट 24 फरवरी 2012 को पेश किया. यह पिछले बजट अनुमान से 13360.95 करोड़ रुपए अर्थात 20 प्रतिशत अधिक है.
गैर योजनागत व्यय 45322.99 करोड़ है. केंद्र प्रायोजित योजना के तहत 5243.18 करोड़ एवं केंद्रीय योजना के तहत 108.33 करोड़ का खर्च प्रस्तावित है. कुल बजट में राजस्व व्यय 60959.27 करोड़ तथा पूंजीगत व्यय 17727.56 करोड़ है. 68047.86 करोड़ रुपए राजस्व प्राप्ति का अनुमान है.
वित्तवर्ष 2011-12 की तुलना में सर्वाधिक खर्च कृषि पर 38.91 प्रतिशत व ग्रामीण कार्य में 38.43 प्रतिशत है. इसी तरह शिक्षा और ग्रामीण विकास में 21.77 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई गई है. कृषि विभाग को वित्तवर्ष 2011-12 में 848 करोड़ मिला था. जो वित्तवर्ष 2012-13 में बढ़कर 1200 करोड़ रुपए है.
किसानों को 200 टन का गोदाम बनाने का पर 50 प्रतिशत अनुदान दिए जाने का प्रवाधान किया गया. कृषि और इससे संबंधित विभागों को इंद्रधनुषी क्रांति का वाहक बनाने की पुरजोर कोशिश की गई है.
शिक्षा विभाग को 2011-12 में 3 हजार 14 करोड़ मिला था जो 2012-13 में बढ़कर 3670 करोड़ रुपए है. इस राशि का ज्यादातर हिस्सा प्राइमरी शिक्षा पर खर्च होगा. जो कुल योजना बजट का 13 प्रतिशत है. बजट का 47 प्रतिशत हिस्सा कृषि और शिक्षा में बांट दिया गया है.
मुख्यमंत्री शताब्दी योजना के नाम से विकलांग सशक्तिकरण योजना, श्रम संसाधन विभाग के तहत असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए कामगार योजना, ग्रामीण क्षेत्र में विकास के लिए मुख्यमंत्री सड़क योजना, इंदिरा आवास जीर्णोद्धार योजना और मुख्यमंत्री शताब्दी हरियाली योजना शुरू की जाएगी.
मॉडल स्कूल योजना का उद्देश्य अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराना है. कुष्ठ रोगियों के कल्याण के लिए आगामी वित्तीय वर्ष में मदर टेरेसा योजना शुरू करने का प्रावधान किया गया है.
बिहार सरकार ने बजट में कारोबारियों को भी निराश नहीं किया है. राज्य में कारोबारियों को अब तीन साल पर ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुमति पत्र का नवीकरण कराना होगा, साथ ही, सरकार ने बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार (बियाडा) की नई निकास नीति (एक्जिट पॉलिसी) लाने का वादा भी किया. राज्य सरकार ने अपनी सिंगल विंडो नीति को मजबूत बनाने की भी बात कही.
बजट में विकलांग सशक्तिकरण की योजना 45 करोड़ रुपये की लागत से शुरू की गई है. इससे विकलांग व्यक्तियों का सर्वागीण विकास होगा.
वैश्विक आर्थिक संकट के बावजूद बिहार ने विकास दर को बनाये रखा है. वित्तवर्ष 2005-06 से 2011-12 के दौरान बिहार की अर्थव्यवस्था की औसत विकास दर 11.36 प्रतिशत रही. वित्तवर्ष 2011-12 के अग्रिम अनुमान के अनुसार विकास दर 13.13 प्रतिशत रही. वित्तवर्ष 2005-06 की तुलना में 2011-12 में प्रति व्यक्ति आय 8706 से बढ़कर 16592 रुपए हो गयी. साख-जमा अनुपात भी दिसंबर2011 तक बढ़कर 35.16 प्रतिशत हो गयी.
वित्तीय वर्ष 2012-13 के बजट में पटना के ट्रैफिक सिस्टम को दुरुस्त किए जाने का प्रावधान किया गया है. पथ निर्माण विभाग ने अब अपने को मुख्य रूप से पीपीपी परियोजनाओं पर केंद्रित किया है इस वजह से परिवहन विभाग के बजट में बड़े स्तर पर बढ़ोतरी नहीं की गई. वित्तीय वर्ष 2011-12 में पथ निर्माण विभाग का योजना व्यय 3513.76 करोड़ रुपये था जो 2012-13 में बढ़कर 3613.63 करोड़ रुपए हो गया.
वित्तवर्ष 2012-13 में राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत 784.23 करोड़, एशियाई विकास बैक संपोषित सड़क पर 1068.05 करोड़, एमडीआर पर 637.77 करोड़, भारत-नेपाल सड़क पर 66.50 करोड़ तथा केंद्रीय सड़क निधि के अंतर्गत 50 करोड़ रुपए खर्च का प्रावधान है.
पटना में गंगा किनारे दीघा से लेकर दीदारगंज (21 किमी) की लंबाई में गंगा ड्राइव वे निर्माण का निर्णय लिया गया है. पीपीपी मोड पर बनने वाली इस सड़क पर 2234 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया.
गंगा ड्राइव वे, सैदपुर नाला को पाट बनेगी. वहीं अशोक राजपथ पर यातायात का दबाव कम करने के लिए सैदपुर नाला (6.785) पर प्रथम चरण में नाला के दक्षिणी भाग में 17.32 करोड़ रुपए की लागत से सड़क का निर्माण किया जायेगा. वित्तीय वर्ष 2012-13 में इसे पूरा किए जाने का लक्ष्य है.
देसी शराब अब पाउच नहीं वरन बोतल में उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार के कार्यकाल में शराब की दुकानें नहीं बढ़ीं, दो नंबर का कारोबार बंद होने से आमदनी बढ़ी है. दुकानों का आवंटन लॉटरी से होने लगा है. वित्तवर्ष 2006-7 में 400 करोड़ के लक्ष्य के विरुद्ध 388 करोड़, वित्तवर्ष 2007-8 में 700 करोड़ के विरुद्ध 535 करोड़ राजस्व मिला जबकि वित्तवर्ष 2009-10 में 950 करोड़ के लक्ष्य के विरुद्ध 1098 करोड़ व वित्तवर्ष 2010-11 में 1400 करोड़ के विरुद्ध 1524 करोड़ की प्राप्ति हुई. विधान परिषद सदस्य प्रतिवर्ष 100 चापाकल लगाने की अनुशंसा कर सकेंगे.
शैक्षणिक रूप से पिछड़े 530 प्रखंडों में एक-एक माडल स्कूल की स्थापना की जाएगी. केन्द्र सरकार से 370 माडल स्कूल की स्वीकृति मिली है. 265 प्रखंडों में माडल स्कूल की स्थापना हेतु 10 करोड़ बजट तय किया गया है.
पावापुरी और बेतिया में मेडिकल कालेजों की स्थापना का प्रस्ताव है. 6 नए नर्सिग कालेजों को खोलने की योजना प्रस्तावित की गयी है. बिहार दिवस पर 22 मार्च को जिला स्तर पर आपातकालीन रेफरल सेवा जयप्रभा जननी शिशु आरोग्य एक्सप्रेस शुरू करने की योजना है. इस योजना के तहत 504 एम्बुलेंस की नि:शुल्क सेवा प्रारंभ की जाएगी.
राज्य में वनावरण एवं वृक्षाच्छादन को 9.72 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया. वानिकीकरण की योजना अब बिहार हरियाली मिशन के नाम से चलायी जाएगी.
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