केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने पटना में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बिहार के लिए आवंटित अनाज और उस पर सब्सिडी दोगुना किए जाने की घोषणा 6 अक्टूबर 2013 को की.
बिहार के लिए दिए जाने वाले 28 लाख टन अनाज को बढ़ाकर 56 लाख टन और इस पर सब्सिडी को बढ़ाकर ग्यारह हजार पांच सौ करोड़ रुपए कर दिया जाना है. इस अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और गुजरात को अधिकतम लाभ पहुंचाया जाना है. बिहार में खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार भी किया जाना है.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का उद्देश्य देश की दो तिहाई अबादी को भारी सब्सिड़ी वाला खाद्यान्न अधिकार के तौर पर प्रदान करना है. इस अधिनियम के तहत देश की 82 करोड़ आबादी को सस्ती दर पर अनाज मुहैया कराने का प्रावधान है. इसके तहत लाभांवित परिवारों में से प्रत्येक व्यक्ति के लिए तीन रुपये से एक रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रति माह 5 किलो चावल, गेहूं या मोटे अनाज की गारंटी होनी है.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम से संबंधित मुख्य तथ्य
• इसके तहत तीन वर्ष के लिए प्रति व्यक्ति प्रत्येक महीने 5 किलो अनाज दिया जाना है. जिसमें 3 रुपये प्रति किलो की दर से चावल, 2 रुपये की दर से गेहूं और 1 रुपये की दर से मोटा अनाज दिया जाना है.
• अधिनियम के तहत प्रति परिवार 35 किलोग्राम अनाज प्रति माह प्रदान किया जाना है.
• यह अधिनियम वर्ष 2011 के जनगणना पर आधारित है और पीडीएस का सामाजिक ऑडिट किया जाना है.
• अधिनियम में छह माह से 14 वर्ष तक के बच्चों को पोषक आहार दिए जाने का प्रावधान है.
• यह तीन वर्ष के लिए निर्धारित है और बाद में इसकी समीक्षा की जानी है.
• गरीब परिवारों की पहचान के कार्य में राज्य सरकारों को शामिल किया जाना है.
• राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक-2013 को भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 10 सितम्बर 2013 को स्वीकृति प्रदान की थी.
• इसे भारत के राजपत्र में असाधारण, भाग-II, धारा-1, तिथि 10 सितम्बर 2013, अधिनियम संख्या 20 के रूप में प्रकाशित किया गया.
• राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक-2013 को राज्यसभा ने 2 सितम्बर 2013 को और लोकसभा ने 26 अगस्त 2013 को पारित किया था.
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