बिहार सरकार ने राज्य के डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मेडिकल प्रोफेशनल एंड इस्टेब्लिशमेंट प्रोटेक्शन एक्ट को 14 जुलाई 2011 को मंजूरी प्रदान की. मेडिकल प्रोफेशनल एंड इस्टेब्लिशमेंट प्रोटेक्शन एक्ट (MPEPA: Medical Professional and Establishment Protection Act) की मंजूरी के साथ ही बिहार सरकार ने डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को मरीजों के साथ सही बर्ताव की सलाह दी.
बिहार सरकार ने मेडिकल प्रोफेशनल एंड इस्टेब्लिशमेंट प्रोटेक्शन एक्ट (MPEPA: Medical Professional and Establishment Protection Act) के तहत डॉक्टरों,स्वास्थ्य कर्मियों या अस्पतालों पर हमले को संज्ञेय अपराध करार दिया. इसके लिए तीन साल की सजा तथा अस्पताल को हुए नुकसान की दोगुना भरपाई का प्रावधान है. राज्य सरकार ने नए कानून में यह शर्तें भी जोड़ी हैं कि डॉक्टर मरीजों से सही व्यवहार करेंगे, उनका सही इलाज करेंगे तथा रोगी को अन्य अस्पताल या डॉक्टर के पास भेजने (रेफर) का उचित कारण भी बताएंगे.
इसके साथ ही बिहार सरकार ने निजी नर्सिंग होम संचालन के लिए नर्सिंग होम एक्ट को भी मंजूरी प्रदान की. नर्सिंग होम एक्ट केंद्रीय कानून का ही एक रूप है. ज्ञातव्य हो कि इस एक्ट के तहत नर्सिंग होम के निबंधन का जिम्मा संबंधित जिलाधिकारी के पास रहता है. साथ ही नर्सिंग होम एक्ट के तहत निजी क्लीनिकों का निबंधन अनिवार्य है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) नौकरशाही के हस्तक्षेप के कारण इस कानून का विरोध कर रहा है.
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