बिहार सरकार ने 9 सितंबर 2014 को किन्नरों (ट्रांसजेंडर) को 'थर्ड जेंडर' (लिंग की तीसरे श्रेणी) का दर्जा दिया. बिहार सरकार के कैबिनेट से इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद इसकी घोषणा की गई. राज्य कैबिनेट ने कुल 45 प्रस्तावों पर चर्चा की, जिनमें से एक प्रस्ताव किन्नरों को लेकर था. कई नागरिक अधिकार संगठन (सिविल राइट्ड ऑर्गेनाइजेशन) और किन्नर लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे.
बिहार सरकार द्वारा किन्नरों को 'थर्ड जेंडर' का दर्जा दिए जाने के फलस्वरूप अब किन्नरों को राज्य की पिछड़ी जाति के सूची-2 में शामिल किया जाएगा और सरकारी नौकरी में उन्हें आरक्षण का लाभ मिलेगा.
विदित हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने 15 अप्रैल 2014 को अपने ऐतिहासिक फैसले में किन्नरों (ट्रांसजेंडर) को लिंग के तीसरे श्रेणी के रूप में मान्यता प्रदान की. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेख किया कि ट्रांसजेंडर सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं. इस फैसले के साथ ही साथ न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और एके सीकरी की बेंच ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे इस समुदाय को मुख्यधारा में लाने के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोजगार मुहैया कराने के लिए जरूरी कदम उठाएं.
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