भारत सहित 6 देशों को उत्तर ध्रुवीय देशों की आर्कटिक परिषद में प्रेक्षक देश के रूप में शामिल किया गया. भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और इटली को विशेष देश का दर्जा देने के प्रस्ताव पर फैसला स्वीडन के किरूना में आर्कटिक परिषद की बैठक में 16 मई 2013 को किया गया. आर्कटिक परिषद का कार्य उत्तर ध्रुव सागर के तटीय क्षेत्र में नीति निर्धारण और समन्वयन करना है.
भारत और चीन जैसे एशिया के प्रमुख विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देशों का पहली बार पर्यवेक्षक के रूप में परिषद में ऐसे समय में शामिल होना महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है जब आर्कटिक क्षेत्र में बर्फ पिघल रहा है और इससे क्षेत्र में दबे पड़े तेल, गैस और प्राकृतिक संसाधनों तक पहुंचना आसान होता जा रहा है.
विदित हो कि आर्कटिक परिषद का गठन 1996 में किया गया था. इसके संस्थापक सदस्य देश अमरीका, रूस, आइसलैंड, नार्वे, स्वीडन, डेनमार्क, सिंगापुर और कनाडा हैं. इस परिषद का गठन आर्कटिक क्षेत्र में इको सिस्टम को सुरक्षित रखने के लिए किया गया था.
भारत का इस परिषद के पर्यवेक्षकक्षक के रूप में नियुक्ति देश के लिए एक बड़ी रणनीतिक जीत है.
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