वाघा– अटारी सीमा पर भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच 24 दिसंबर 2013 को बैठक हुई. बैठक दोनों पक्षों के बीच तनाव को कम करने और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर शांति सुनिश्चित करने के लिए एक व्यवस्था बनाने के लिए आयोजित की गई.
लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया भारतीय पक्ष का नेतृत्व कर रहे थे जबकि मेजर जनरल आमेर रियाज पाकिस्तानी पक्ष का. दोनों पक्षों की तरफ से एक ब्रिगेडियर और तीन लेफ्टिनेंट कर्नलों ने इस वार्ता में हिस्सा लिया.
दोनों देशों के बीच डीजीएमओ स्तर की यह वार्ता 14 वर्षों के बाद आयोजित की गई. पिछली बार भारत और पाकिस्तान के प्रमुख सैन्य कमांडरों की बैठक जुलाई 1999 में कारगिल युद्ध के बाद हुई थी.
भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ स्तर की बैठक आयोजित करने का यह फैसला राजनीतिक स्तर पर लिया गया. दोनों देशों के डीजीएमओ ने नियंत्रण रेखा पर तनाव के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की. उन्होंने युद्ध विराम को बनाए रखने और स्थिति को सामान्य रखने से जुड़े मुद्दों पर भी बातचीत की. दोनों पक्षों की यह मुलाकात तनाव कम करने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच होने वाली बैठक से तीन माह पहले हुई. शुरुआत में पाकिस्तान ने इस बैठक में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को शामिल करने का प्रस्ताव दिया था जिसे भारत ने खारिज कर दिया था.
वर्ष 1949 में भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक (यूएनएमओजीआईपी) की स्थापना हुई थी. इसकी स्थापना नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम की निगरानी के लिए विश्व निकाय की परिषद द्वारा प्रस्ताव पारित कर किया गया था.
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