भारत और बांग्लादेश ने तटीय नौपरिवहन पर समझौते को लागू करने के लिए 15 नवम्बर 2015 को नई दिल्ली में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर हस्ताक्षर किये. गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच इस संदर्भ में जून 2015 में हस्ताक्षर किए गये थे.
एसओपी पर भारत के जहाजरानी मंत्रालय के संयुक्त महानिदेशक (नौपरिवहन) और बांग्लादेश के नौपरिवहन विभाग के मुख्य अभियंता तथा पोत सर्वेक्षणकर्ता ने हस्ताक्षर किए.
एसओपी को तटीय नौपरिवहन पर समझौते के नियम और शर्तो के अनुरूप तैयार किया गया है तथा भारत और बांग्लादेश दोनों ही इसके प्रावधानों पर सहमत हैं.
मानक संचालन प्रक्रिया से भारत और बांग्लादेश के बीच तटीय नौपरिवहन को बढ़ावा देने का मार्ग प्रशस्त होगा तथा एक्जिम माल की ढुलाई की लागत कम होने से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि होगी.
एसओपी के प्रावधानों के अंतर्गत भारत और बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय समुद्री परिवहन में उपयोग में लाए जाने वाले अपने राष्ट्रीय पोतों के साथ-साथ अन्य देशों के जहाजों के लिए भी समान दृष्टिनकोण अपना सकेगें. दोनों पक्षों ने भारत-बांग्लादेश तटीय नौपरिवहन के लिए नदी सागर पोत (आरएसवी) श्रेणी के जहाजों के उपयोग पर भी सहमति व्यक्त की है.
पृष्ठभूमि
भारत और बांग्लादेश के बीच तटीय नौपरिवहन के मुददे पर कई संयुक्त तकनीकी समितियों की बैठकें हो चुकी हैं. पिछले समझौते में ढाका में, 24 जून 2014 को तटीय नौपरिवहन पर एक व्यापक चर्चा की गई. इसके बाद, बांग्लादेश और भारत के बीच तटीय नौवहन पर एक समझौते को अंतिम रूप दे दिया गया तथा भारत के प्रधानमंत्री की बांग्लादेश यात्रा के दौरान 6 जून 2015 को हस्ताक्षर किए गए. यह समझौता दोनों देशों के बीच तटीय नौपरिवहन के क्षेत्र में सहयोग राष्ट्रीय संप्रभुता, राष्ट्रीय कानूनों और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के अनुसार आपसी लाभ के सिद्धांतों पर आधारित होगा.
समझौते के लाभ
• भारत और बांग्लादेश के बीच तटीय नौपरिवहन की शुरूआत होने से चटगांव तटीय नौपरिवहन के माध्यम से पूर्वोत्तटर तक कार्गो आवाजाही और उसके बाद सड़क/अंतर्देशीय जलमार्ग से आवाजाही सक्षम हो सकेगी.
• भारत के पूर्वी तट पर डीप ड्राफ्ट बंदरगाह आरएसवी श्रेणी के माध्यम से बांग्लादेश के लिए माल परिवहन के लिए 'केन्द्रीय' बंदरगाह’ बनाये जा सकते हैं.
• भारतीय बंदरगाह अतिरिक्त कार्गो को संचालित करेंगे तथा इससे समग्र नौवहन में बांग्लादेश के लिए परिवहन की लागत कम हो जाएगी.
• भारतीय बंदरगाह बांग्लादेश के लिए ट्रांस-शिपमैंट कार्गो के रूप में सेवा दे सकेंगे और इससे भारत-बांग्लादेश के तटीय व्यापार को लाभदायक रूप से बढ़ाया जा सकेगा.
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