भारत की स्थाई सदस्यता और संयुक्त राष्ट्र सुधार

द्वितीय विश्व युद्ध(1939 – 45) की समाप्ति के बाद लगभग सम्पूर्ण विश्व एक खंडहर में तब्दील हो गया था, इस भारी नर संहार के बाद विश्व को शान्ति की आवश्यकता थी इस क्रम में विश्व के 51 देश सेन फ्रांसिस्को में एकत्रित हुए और उन्होंने एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, वह दस्तावेज एक चार्टर था जिसके तहत वर्ष 1945 में ‘संयुक्त राष्ट्र’ नामक एक अंतरराष्ट्रीय संस्था की स्थापना की गई.

Sep 18, 2015, 09:37 IST

किसी स्थिर और स्थाई रोजगार का महत्व देश के बेरोजगार युवा से अच्छा भला कौन समझ सकता है. निश्चित तौर पर किसी संस्थान में कार्यरत एक कर्मचारी स्वयं को थोड़ा सुरक्षित तब महसूस करता है जब उसका प्रोबेशन पीरियड अर्थात वह काल जब किसी कर्मचारी के कार्य और उसके व्यवहार आदि का विशेलेषण संस्थान द्वारा किया जाता है, समाप्त हो जाता है और वह संस्थान का स्थाई सदस्य बन जाता है.
कारण स्पष्ट है की इस स्थायित्व के साथ कर्माचारी अपना और अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित करने में सक्षम हो जाता है, इसके अतिरिक्त संस्थान द्वारा उसे कुछ ऐसी सुविधाएँ प्रदान की जाती है जो सिर्फ स्थाई पदों पर बैठे लोगों को ही प्राप्त होती हैं.
स्थायित्व की एसी ही माँग संयुक्त राष्ट्र नामक संस्थान से भारत, जापान, जर्मनी और ब्राजील जैसे कुछ कर्मचारी पिछले कई वर्षों से कर रहे हैं.
इस विषय पर आगे चर्चा करने से पहले यह आवश्यक है की हम संयुक्त राष्ट्र से परिचित हों.

संयुक्त राष्ट्र

द्वितीय विश्व युद्ध(1939 – 45) की समाप्ति के बाद लगभग सम्पूर्ण विश्व एक खंडहर में परिवर्तित हो गया था, इस भारी नर संहार के बाद विश्व को शान्ति की आवश्यकता थी इस क्रम में विश्व के 51 देश सेन फ्रांसिस्को में एकत्रित हुए और उन्होंने एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, यह दस्तावेज एक चार्टर था जिसके तहत वर्ष 1945 में ‘संयुक्त राष्ट्र’ नामक एक अंतरराष्ट्रीय संस्था की स्थापना की गई. वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्य हैं.  
संयुक्त राष्ट्र के 6 मुख्य अंगों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् एक महत्वपूर्ण अंग है. वर्ष 2015 के सितम्बर माह में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद उस समय चर्चा में आई जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे पर महासभा के अध्यक्ष सैम कुटेसा द्वारा पेश दस्तावेज को आगे चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया. इसे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया गया.

अब प्रश्न यह है की भारत के लिए यह उपलब्धि कैसे है ? लेकिन इससे पहले जान लेते है की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् क्या है ?

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के बारे में

संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत सुरक्षा परिषद की प्राथमिक जिम्मेदारी अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना है. पूर्व में इसके कुल सदस्यों की संख्या 12 थी परन्तु वर्तमान में इसके कुल 15 सदस्य हैं. जिनमे से 5 सदस्य (चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम, और संयुक्त राज्य अमेरिका) स्थाई हैं और 10 सदस्य अस्थाई है. हर सदस्य के पास एक मत होता है. इन 10 अस्थाई सदस्यों का चयन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा किया जाता है. हर अस्थाई सदस्य का कार्यकाल 2 वर्षों का होता है और सेवा-निवृत्ति हुआ राष्ट्र तत्काल चुनाव में नहीं खड़ा हो सकता है. विदित हो अंतर्राष्ट्रीय कानून द्वारा केवल सुरक्षा परिषद के यह पांच स्थाई सदस्यों की नाभिकीय योग्यताएं अनुमोदित हैं.
 
जी4 नामक समूह पिछले कई वर्षों से स्थाई सदस्यता की माँग कर रहा है. अब प्रश्न यह है की जी4 समूह क्या है, और ये क्यों स्थाई सदस्यता की माँग कर रहा है, क्या स्थाई सदस्यता के कुछ विशेष लाभ हैं ?

 जी4 समूह

जी4 अर्थात ‘ग्रुप ऑफ़ फोर कन्ट्रीज’ अर्थात उन चार देषों का समूह जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थाई सदस्यकता के उद्देश्य से एक दूसरे का समर्थन करते हैं.  जी4 देशों को नियमित तौर पर संयुक्त  राष्ट्रोसंघ की सुरक्षा परिषद में अस्थाई सदस्यता के लिए चुना जाता रहा है. जी4 के अंतर्गत ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान आते हैं.
ब्राजील अब तक 10 बार, जर्मनी 3 बार, भारत 7 बार, और जापान अब तक 10 बार सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य बन चुका हैं.

सुरक्षा परिषद का इतना महत्व क्यों ?

• सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र के सभी अंगों में सबसे महत्वपूर्ण अंग है. इसके महत्व का परिचय यह है की सुरक्षा परिषद की अनुशंसा पर ही महासभा संयुक्त राष्ट्र के नए सदस्य राष्ट्रों का चयन करता है. संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के क्षेत्र में सुरक्षा परिषद द्वारा किया लिया गया निर्णय सर्वोपरी होगा.
• वर्तमान चार्टर के अनुसार संयुक्त राष्ट्र, सुरक्षा परिषद के निर्णयों को मानने के लिए बाध्य है इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र की एक मात्र एसी संस्था है जिसका निर्णय मानना सदस्यों के लिए बाध्यकारी है.
• चार्टर के अनुसार प्रक्रियात्मक मामलों में किसी भी निर्णय को लेने के लिए 9 सकारात्मक मत आवश्यक हैं, जबकि अन्य मुद्दों पर 9 सकारात्मक मतों के अतिरिक्त स्थाई सदस्यों की सहमती भी अनिवार्य है.
• संयुक्त राष्ट्र चार्टर में किसी भी परिवर्तन पर अनुमोदन करने की शक्ति भी सुरक्षा परिषद के पास है.

भारत और अन्य जी4 देशों द्वारा सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता की माँग क्यों ?

क्षेत्र विशेष का प्रतिनिधित्व

पिछले कई वर्षों से विश्व के कुछ देश संयुक्त राष्ट्र सुधार और विस्तार की बात कह रहे हैं. इसके पीछे उनका यह तर्क है की इस विस्तार से संयुक्त राष्ट्र में व्याप्त क्षेत्र विशेष का प्रतिनिधित्व कम होगा और सही अर्थों में संयुक्त राष्ट्र में लोकतंत्र आएगा. यदि विश्व के मानचित्र में देखा जाए तो यह पाँच देश विश्व मानचित्र की उत्तरी क्षेत्र के औद्योगिक और सम्पन्न देशों का प्रतिनधित्व करते हैं. इस क्रम में अफ्रीका जैसे दक्षिणी क्षेत्र वाले देश अपने आप को उपेक्षित महसूस करते हैं और कहीं न कहीं यह उनके मूलभूत मुद्दों के समाधान न होने का एक मुख्य कारण भी है जो इन देशों के विकास क्रम में बाधक है. 
     
वीटो

संयुक्त राष्ट्र चार्टर के 27वें अनुच्छेद में वीटो का उल्लेख किया गया है. संयुक्त राष्ट्र के सिर्फ पांच स्थाई देशों को प्रतिनिषेध शक्ति अर्थात वीटो पॉवर प्राप्त है. इसका अर्थ है कि सुरक्षा परिषद के बहुमत द्वारा स्वीकृत कोई भी प्रस्ताव इन पांच में से किसी भी एक की असहमती पर समाप्त हो जाता है और ऐसा कई बार हुआ भी है, वर्ष 1946 से वर्ष 2012 तक चीन 9, फ़्रांस 18, ब्रीटेन 32, संयुक्त राज्य अमेरिका 83 और यूएसएसआर/रूस 128 बार वीटो का प्रयोग कर चुके हैं. अर्थात वर्ष 1946 से 2012 तक इन पाँच देशों ने 269 वीटो का प्रयोग किया है.
स्पष्ट है यह देश ऐसे किसी भी विषय पर अपनी सहमती नहीं देते हैं और वीटो लगाते हैं जहाँ उनका प्रभुत्व और शक्ति कम होती हो, उनके आर्थिक लाभ में कटौती होती हो. अमेरिका द्वारा कई बार ऐसे विषयों पर वीटो लगाया है जो अंतरराष्ट्रीय शांति ( संयुक्त राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण कर्तव्य है) से सम्बंधित है क्योंकि अमेरिका स्वयं विश्व का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश है और अपनी जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका को हथियारों के निर्यात से प्राप्त होता है.
इसी तरह चीन द्वार भारत की स्थायी सदस्यता का विरोध करने के पीछे स्पष्ट कारण क्षेत्रीय विवाद और आर्थिक प्रतिस्पर्धा है.

स्थाई सदस्यता और वीटो जैसी माँग को ठुकराए जाने के क्रम में भारत,जर्मनी ,ब्राजील और जापना जैसे देश संयुक्त राष्ट्र को वित्तीय या सैन्य योगदान में कटौती करने की धमकी भी दी चुके है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में  सुधार के किसी भी प्रस्ताव को कुल 193 देशों में से दो तिहाई बहुमत यानी कम से कम 129 देशों के मतों की जरूरत पड़ती है. जिनमें सुरक्षा परिषद के सभी स्थाई सदस्य देशों -चीन अमरीका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस की सहमति भी जरूरी होती है. हालांकि, संयुक्त राष्ट्र महासभा में दो तिहाई देशों से अधिक समर्थन वाले किसी भी प्रस्ताव पर वीटो करना स्थाई सदस्य देश के लिए संभव नहीं होगा.

हलांकि अब तक पिछले 23 वर्षों में अमेरिका और चीन जैसे पी5 सदस्य कई बार मौखिक रूप से विदेश यात्रा और उच्च स्तरीय वार्ता के दौरान भारत की स्थाई सदस्यता और यूएन सुधार की बात कह चुके हैं परन्तु यह एहला मौका है जब महासभा के अध्यक्ष सैम कुटेसा द्वारा 69वें अधिवेशन के अंतिम दिन पेश किए गए एक प्रस्ताव पर महासभा सहमत हो गई जिसके तहत महासभा के 70वें अधिवेशन में इस विषय के लिखित प्रस्ताव पर चर्चा करने का निर्णय लिया गया. शायद यह भारत जैसे विकासशील देशों के प्रति पी5 देशों का भय ही है जो भारत का 'प्रोबेशन' अब भी जारी है.

Now get latest Current Affairs on mobile, Download # 1  Current Affairs App


Jagran Josh
Jagran Josh

Education Desk

    Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.

    ... Read More

    यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे, डिफेन्स और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नवीनतम दैनिक, साप्ताहिक और मासिक करेंट अफेयर्स और अपडेटेड जीके हिंदी में यहां देख और पढ़ सकते है! जागरण जोश करेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें!

    एग्जाम की तैयारी के लिए ऐप पर वीकली टेस्ट लें और दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करें। डाउनलोड करें करेंट अफेयर्स ऐप

    AndroidIOS

    Trending

    Latest Education News