स्वदेश निर्मित संचार उपग्रह जीसैट 15 का 11 नवम्बर 2015 को 3 बजकर 4 मिनट पर यूरोपीय एरियन 5 VA-227 प्रक्षेपण यान द्वारा सफल परीक्षण किया गया.
यह प्रक्षेपण दक्षिण अमेरिका के फ्रेंच गुयाना के कौरू से किया गया.
एरियन -5 रॉकेट को लगभग 581 करोड़ रुपए की लागत पर इसके प्रक्षेपण के लिए लिया गया था.
3164.5 किलोग्राम के जीसैट -15 संचार उपग्रह को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र इसरो द्वारा तैयार किया गया है. जीसैट -15 संचार उपग्रह जी सैट प्रणाली में शामिल किया जाने वाला उच्च क्षमता संपन्न उपग्रह है.
केयू-बैंड के 24 संचार ट्रांसपोंडर इसमें एल 1 और एल 5 बैंड में सक्रिय एक जीपीएस एडेड जियो संवर्धित नेवीगेशन (गगन) पेलोड से संचालित होते हैं.
अपने सह यात्री अरब सैट-6 बीकेबीएडीआर-7 अंतरिक्ष में प्रस्थापित करने के उपरांत जीसैट -15 को भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) से प्रारंभ किया गया था.
कर्नाटक के हासन स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी (एमसीएफ) ने प्रक्षेपण यान से अलग होने के तुरंत बाद जीसैट -15 का कमान और नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया.
ऑर्बिट रेजिंग ऑपरेशन के पूरा होने के बाद दो सौर अर्रे और जीसैट -15 का एंटीना रिफ्लेक्टर दोनों को तैनात किया जाएगा. बाद में उपग्रह को अंतिम कक्षा विन्यास में रख दिया जाएगा.
जीसैट -15 को इनसैट -3 ए और इनसैट -4 बी उपग्रहों के साथ भू-स्थिर कक्षा के पूर्वी देशांतर में 93.5 डिग्री पर तैनात किया जाएगा.
सभी कक्षा परीक्षणों के सफल समापन के बाद जीसैट -15 परिचालन उपयोग के लिए तैयार हो जाएगा.
एरियन स्पेस का 2015 में यह छठा हैवी लिफ्ट मिशन था.
जीसैट -15 भारत में दूरसंचार सेवाएं तथा समर्पित नववहन सहायता व आपात सेवाएं प्रदान करेगा.
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