भारत सरकार के केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 19 दिसंबर 2014 को एक जापानी कंपनी के साथ द्विपक्षीय मूल्य निर्धारण समझौते (एपीए) पर हस्ताक्षर किये. यह एपीए पांच वर्ष की अवधि के लिए हस्ताक्षरित किया गया. इस एपीए को तकरीबन डेढ़ वर्ष की अवधि में अन्तिम रूप दिया गया, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एपीए को अन्तिम रूप देने में सामान्य रूप से लगने वाली अवधि के मुकाबले कम है.
विदित हो कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) से जुड़े ट्रांसफर प्राइसिंग मामलों में निश्चितता एवं एकरूपता लाने और मुकदमेबाजी में कमी लाने के लिए एपीए योजना शुरू की गई. एपीए से देश में निवेश माहौल सुधरेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जापान यात्रा के बाद जापान और भारत के बीच बढ़ते आर्थिक रिश्तों के मद्देनज़र इस एपीए से भारत में जापानी निवेशकों के सकारात्मक रुख की आशा है.
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से संबंधित मुख्य तथ्य
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), प्रत्यक्ष कर से संबंधित केंद्रीय वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग का एक हिस्सा है. भारत में प्रत्यक्ष कर से संबंधित सभी मामले 1 जनवरी 1964 से केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को सौंप दिए गए और इसे राजस्व बोर्ड अधिनियम 1963 से अधिकार प्राप्त है. एक ओर सीबीडीटी भारत में प्रत्यक्ष कर की नीतियों और योजनाओं के लिए आवश्यक निविष्टियां प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर यह आयकर विभाग के माध्यम से प्रत्यक्ष कर कानूनों के प्रशासन के लिए भी जिम्मेदार है.
अध्यक्ष, जो भारत सरकार के पदेन विशेष सचिव होते हैं, सीबीडीटी का प्रमुख होता है. इसके अलावा, सीबीडीटी के छह सदस्य होते हैं, जो भारत सरकार के पदेन अपर सचिव होते हैं. सीबीडीटी के अध्यक्ष और सदस्यों का चयन भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारियों के बीच से की जाती है.
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