भारत सहित 22 एशिया-प्रशांत देशों की नौसेनाओं ने समुद्री संचार समझौते पर हस्ताक्षर किए

Apr 24, 2014, 12:09 IST

भारत सहित 22 एशिया-प्रशांत देशों की नौसेनाओं ने 22 अप्रैल 2014 को समुद्री संचार समझौते पर हस्ताक्षर किए.

भारत सहित 22 एशिया-प्रशांत देशों की नौसेनाओं ने 22 अप्रैल 2014 को समुद्री संचार समझौते पर हस्ताक्षर किए. इन देशों के नौसेना-प्रमुखों के बीच यह समझौता द्विवार्षिक पश्चिमी प्रशांत नौसैनिक संगोष्ठी  (Western Pacific Naval Symposium/WPNS) के दौरान हुआ. संगोष्ठी चीन के पूर्वी बंदरगाह-शहर क्विंगदाओ में 21 से 25 अप्रैल 2014 तक चल रही है.

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समझौते का यह लक्ष्य यह सुनिश्चित करना था कि नौसैनिक जहाजों के बीच संवादहीनता प्रशांत महासागर में संघर्ष में न बदल जाए. समझौते में इस प्रक्रिया की रूपरेखा बनाई गई कि जापान, चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया के इर्द-गिर्द के समुद्री पथ में नौसैनिक जहाजों को अप्रत्याशित रूप से एक-दूसरे के संपर्क में आने पर किस तरह संवाद और युक्ति-प्रयोग करना चाहिए.    

इस समझौते के अतिरिक्त, पाकिस्तान को 21 सदस्यीय डब्ल्यूपीएनएस में प्रेक्षक का दर्जा दिया गया. पाकिस्तान को प्रेक्षक का  दर्जा दिए जाने से डब्ल्यूपीएनएस में प्रेक्षक का  दर्जा पाए देशों की कुल संख्या 4 हो गई है. प्रेक्षक का  दर्जा प्राप्त अन्य देश हैं भारत, बांग्लादेश और मैक्सिको.
 
क्विंगदाओ संगोष्ठी  डब्ल्यूपीएनएस के संस्थापक सदस्यों में से एक, चीन द्वारा अपनी मेजबानी में आयोजित पहली द्विवार्षिक बैठक थी.

समझौता इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि विभिन्न देशों की नौसेनाओं के बीच संवादहीनता प्रशांत महासागर में बढ़ते संघर्ष का केंद्र बनती जा रही है. समझौता जापान सहित चीन और उसके पड़ोसी देशों  के बीच बढ़ते विवाद हल करने में भी सहायक हो सकता है.  

पश्चिमी प्रशांत नौसैनिक संगोष्ठी (डब्ल्यूपीएनएस)
डब्ल्यूपीएनएस का मूल 1987 की अंतरराष्ट्रीय समुद्र-शक्ति संगोष्ठी में निहित है, जो नौसेना-प्रमुखों के बीच मुक्त चर्चाओं के लाभों को लेकर आयोजित की गई थी. इस बैठक ने पश्चिमी प्रशांत क्षेत्रीय समिति में भी ऐसी ही बैठक आयोजित किए जाने के समझौते की ओर अग्रसर किया.  

उक्त समझौते के परिणामस्वरूप पश्चिमी प्रशांत नौसैनिक संगोष्ठी (डब्ल्यूपीएनएस) का गठन हुआ, जिसने अपनी पहली बैठक 13 संस्थापक सदस्यों के साथ 1988 में की.

प्रयोजन
डब्ल्यूपीएनएस का उद्देश्य पारस्परिक हितों के समुद्री मुद्दों पर चर्चा संभव बनाने के लिए एक ढाँचा उपलब्ध करवाकर, सूचना का आदान-प्रदान कर, क्षमताओं के प्रदर्शन की प्रथा और कार्मिकों की अदला-बदली द्वारा नौसेनाओं के बीच सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ उनमें परस्पर विश्वास तथा भरोसा निर्मित करना है.    

उद्देश्य
डब्ल्यूपीएनएस के निम्नलिखित पाँच प्रमुख उद्देश्य हैं.
• सहयोग की पहलों के बारे में चर्चा करना और उन्हें आगे बढ़ाना, तथा उनमें से उन पहलों की पहचान करना, जो और अधिक विकास तथा अभ्यास की दृष्टि से उपयोगी हैं.
• मैत्री और पेशेवर सहयोग बढ़ाने के नए तरीके ढूंढ़ना और उनका विकास करना.
• वर्तमान और भविष्य के लिए भरोसा और विश्वास निर्मित करने के लिए विभिन्न स्तरों पर नौसेना-से-नौसेना संबंध विकसित करना.
• आपसी हितों के समुद्री मुद्दों के व्यापक दायरे पर सूचना का आदान-प्रदान करना.
• संचार-पथों की स्थापना और रखरखाव सुनिश्चित करना, ताकि कार्यशालाओं और संगोष्ठियों के बाहर प्रतिनिधियों के बीच संबंध बना रहे.

डब्ल्यूपीएनएस में वे नौसेनाएं शामिल हैं, जिनकी सीमा प्रशांत महासागर क्षेत्र से लगती है.

डब्ल्यूपीएनएस के 21 सदस्य देश हैं : ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कंबोडिया, कनाडा, चिली, चीन, फ़्रांस, इंडोनेशिया, जापान, मलयेशिया, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, पेरू, फिलीपींस, कोरियाई गणतंत्र, रूस, सिंगापुर, थाइलैंड, टोंगा, अमेरिका और वियतनाम.

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