भारतीय ज्ञानपीठ ने नवलेखन प्रतियोगिता के अंतर्गत वर्ष 2010 के लिए विमलेश त्रिपाठी (अधूरे अंत की शुरूआत) तथा राजीव कुमार (तेजाब) को तथा वर्ष 2011 के लिए गौरव सौलंकी (सौ साल फिदा) और प्रदीप जिलवाने (जहां भी हो जरा सी संभावना) को पुरस्कृत करने का निर्णय किया. इसके अलावा कहानी संग्रह पूर्वज (श्रीकांत दुबे) एवं सूरज कितना कम (गौरव सोलंकी) और काव्य संग्रह आधी रात की देवसेना (अंशुल त्रिपाठी) को प्रकाशन योग्य पाया गया. विजेताओं का चयन वरिष्ठ आलोचक डा. नामवर सिंह की अध्यक्षता में आयोजित निर्णायक मंडल की बैठक में सर्वसम्मति से की गई. इसके तहत प्रत्येक विजेता को पुरस्कार के रूप में 25-25 हजार रुपए की राशि प्रदान की जाती है.
विदित हो कि भारतीय ज्ञानपीठ ने वर्ष 2010 और 2011 की नवलेखन प्रतियोगिता के लिए कहानी और काव्य विधा की 40 वर्ष से कम उम्र की पहली कृति आमंत्रित की थी. इसके लिए 39 लेखकों ने अपनी पांडुलिपि भेजी थी.
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